राहुल गॉंधी, हमारा नहीं तो कम से कम उनका तो ख्याल करिए, जो आपसे हर बाद उम्मीद लगा लेते हैं, पहले से भी किसी बड़े चमत्कार की और आप हर बार, बार-बार, पिछली बार से भी ज्यादा वीभत्स तरीके से उस सपने को चीर-फाड़ देते हैं।
खलीज टाइम्स को दिए साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के अलग-थलग पड़े रहने की स्थिति को खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त किया। उन्होंने कहा, "अलग-थलग पड़े रहने से कुछ युवा कट्टरपंथी बन गए और हिंसा तथा आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़े।"
राज्य में हालात अब धीरे-धीरे सामान्य होते जा रहे हैं। 17 अगस्त के बाद छिटपुट विरोध की घटनाओं में भी कमी देखी गई है। हालॉंकि सीमा पार से आंतकी खतरे की आशंका बनी हुई है जिसके कारण सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है।
राहुल गॉंधी और अन्य विपक्षी नेताओं से राज्यपाल ने कहा है, "अब उनकी यहॉं कोई जरूरत नहीं है। उनकी जरूरत तब थी जब उनके साथी संसद में बोल रहे थे। यदि वे यहॉं आकर माहौल बिगाड़ना और दिल्ली में बोले गए झूठ को ही दोहराना चाहते हैं तो यह सही नहीं है।"
कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन की याचिका में हस्तक्षेप की मॉंग। 16 अगस्त को CJI की अगुवाई वाली पीठ ने भसीन की याचिका पर सुनवाई को दो हफ्ते के लिए टाल दिया था और कहा था कि सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए।
राहुल गाँधी समेत सभी विपक्षी राजनेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया गया और उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस दिल्ली भेज दिया गया। इनमें गुलाम नबी आज़ाद, डी राजा, शरद यादव, मनोज झा, मजीद मेमन और अन्य नेता शामिल थे।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपने बयान में कहा था कि ऐसे वक्त में जब सरकार लोगों को सीमा पार आतंकवाद के खतरे से बचाने की कोशिश कर रही है तब वरिष्ठ राजनेताओं की ओर से आम जनजीवन को पटरी पर लाने में बाधा डालने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। अगर वो इलाके का दौरा करेंगे, तो उन पाबंदियों का भी उल्लंघन करेंगे, जो अब भी कई इलाकों में लागू है।
"जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने की ऐतिहासिक भूल से देश को राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी। आज, जबकि इतिहास को नए सिरे से लिखा जा रहा है, उसने ये फैसला सुनाया है कि कश्मीर के बारे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दृष्टि सही थी और पंडित नेहरू जी के सपनों का समाधान विफल साबित हुआ है।"
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के नेता सरदार सागीर ने घाटी में बिगड़े हालात के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए उनका खुद का देश पाकिस्तान ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
यासीन मलिक के ख़िलाफ़ इस समय जिन दो मामलों में केस चल रहा है, वह काफ़ी पुराने हैं। रुबिया सईद के अपहरण के दौरान सीबीआई द्वारा दाखिल चालान के मुताबिक श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जबकि सैनिको की हत्या वाला मामला 25 जनवरी 1990 का है।