इसी इकोसिस्टम पर निशाना साधते हुए कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर पूछा कि ये लोग ताहिर हुसैन का बचाव कर रहे लोग गलती से ऐसा कर रहे थे या सब दंगों की साज़िश का हिस्सा था।
नितिन ने ये भी बताया कि अदालत में उनके पिता के हत्याकांड से संबंधित सुनवाइयों में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता है। उन्हें कहा जाता है कि कॉल करेंगे, लेकिन कॉल आता नहीं।
दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में बलिदान हुए हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल का परिवार राजधानी छोड़ जयपुर जा बसा है। पत्नी की शिकायत है कि यहाँ उन्हें नौकरी तक नहीं मिल रही।