“डीसीपी अमित शर्मा के मुँह से खून निकल रहा था। आँखें ऊपर की ओर हो चुकी थी। भीड़ 5-10 मीटर पर थी। हम पर पथराव हो रहा था। जैसे-तैसे मैंने खुद को सॅंभाला और डीसीपी को डिवाइडर पर लगी ग्रिल के उस पार किया।"
इशरत जहाँ ने भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था- "हम मर भी जाएँ लेकिन यहाँ से नहीं हटेंगे। हम आज़ादी लेकर रहेंगे।" इशरत के समर्थक खालिद ने भीड़ से पुलिस पर पत्थरबाजी करने को कहा था। साबू अंसारी उस भीड़ का नेतृत्व कर रहा था, जिसने पुलिस पर पत्थरबाजी की।
धुर वामपंथी संगठनों के प्रभाव वाले छात्र संघ ने पोस्टर जारी कर कहा था, “हमारा कैंपस/JNUSU ऑफिस उन सभी लोगों के लिए खुला है, जिन्हें आश्रय की जरूरत है।” पोस्टर में 4 लोगों के नाम और नंबर भी थे। ये नाम हैं- आइशी घोष, साकेत मून, सतीश चंद्र और दानिश।
एक भारत की व्यवस्था को चीनी माओवादी बनाना चाहता है। दूसरा भारत को चूस-चूस के शरिया की ओर ले जाना चाहता है। वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे को फूटी आँख ना सुहाने वाले इन दो दुश्मन गुटों का भारत में याराना देखिए।
अंकित शर्मा को दंगाई घसीटकर ताहिर के घर में ले गए थे और उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। उनका शव नाले से बरामद किया गया था। उन्हें 400 से ज्यादा बार चाकुओं से गोदा गया था।
एक हिन्दू का स्कूल है, एक दूसरे मजहब का। एक को जला कर ख़ाक कर दिया गया, दूसरे को दंगाइयों ने हमले का 'बेस' बनाया। राजधानी स्कूल की छत से दंगाई भीड़ ने आसपास के हिन्दू घरों, दुकानों, गाड़ियों, लोगों को नुकसान पहुँचाया। साथ ही बगल के डीआरपी स्कूल को जला डाला।
हिंदू लड़की की शादी की तैयारियाँ। हलवाई लजीज व्यंजन बनाने में लगे हुए। तभी दंगाइयों ने पहले तो ईंट-पत्थर-टाइल्स फेंकना शुरू कर दिया उस घर में। उसके बाद पेट्रोल बम फेंका। यह कोई आतंकी हमला नहीं था। बल्कि हमलावर घर के पड़ोस में रहने वाले वही अब्बा जान, भाई जान थे; जिनसे शादी वाले घर की बहन-बेटियाँ हर रोज दुआ सलाम करती थीं।
यमुना विहार में दंगाइयों ने प्रीति के घर को घेर रखा था। पेट्रोल बम फेंका। घर में आग लग गई। अंदर प्रीति अपने पति और दो बच्चों के साथ फॅंसी थी। आज भी प्रीति उस वक्त को याद कर सिहर जाती हैं। आँखों में मौत का खौफ दिखाई देता है और गला भर आता है।
अंकित शर्मा के पिता रविन्द्र शर्मा ने FIR दर्ज कराते हुए AAP नेता और नगर पार्षद ताहिर हुसैन के अलावे कई अन्य लोगों को भी आरोपित बनाया। रविन्द्र शर्मा ने FIR में आरोप लगाया कि अंकित के शव को मस्जिद से नाले में फेंका गया था। फॉरेंसिक टीम ने...
रतनलाल का परिवार बिलकुल अकेला है। पत्नी पूनम, 2 मासूम बेटियाँ और एक बेटा को छोड़ गए वो। उनकी माँ और छोटा भाई दिनेश भी उन पर आश्रित थे। पिता बृजमोहन का तो ढाई साल पहले ही देहांत हो चुका है। अब ऐसे में आखिर उनका घर चलाने वाला है ही कौन?