पूरे बिहार की बात करें, तो नोटा का बटन सर्वाधिक गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र में 51,660 मतदाताओं ने दबाया, जो देश में सबसे ज्यादा है। इस सीट पर जदयू के अजय कुमार सुमन को जीत मिली, जिन्होंने राजद उम्मीदवार सुरेंद्र राम को 2.86 लाख वोटों से शिकस्त दी।
देश में पांच राज्यों के लिए हुए विधानसभा चुनावों और उसके ताजा परिणामों के बाद एक बार फिर से नोटा (उपर्युक्त में से कोई नहीं) को लेकर बहस छिड़ गई है। ऐसे में इस बात पर चर्चा होना लाजिमी है कि आखिर नोटा से जनता का फायदा है या नुकसान?
पाँचों राज्यों के आंकड़ों को मिला कर देखें तो कुल पंद्रह लाख लोगों ने किसी उम्मीदवार को वोट देने कि बजाय नोटा यानी "उपर्युक्त में से कोई नहीं" का विकल्प चुनना ज्यादा बेहतर समझा। पाँचों राज्यों में नोटा का वोट शेयर 6.3% के आसपास रहा।