ऑपइंडिया से बात करते हुए अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने पूछा कि पुलिस ने FIR में 304 की जगह कमजोर धारा 304A क्यों लगाई? उन्होंने कहा कि इस मामले में गलत संदेश गया है, अगर भीड़ ने न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने की बजाए खुद हिंसा करना शुरू कर दिया तो ये ठीक नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि Cis-जेंडर (जो अपना जेंडर वही मानते हैं जो उनके जन्म के समय था) ही नहीं बल्कि ट्रांसजेंडर (समलैंगिक) पुरुष और नॉन-बाइनरी (महिला-पुरुष के अलावा अन्य) लोग भी गर्भवती हो सकते हैं।
"5 दशक पहले ही उन्होंने 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' की बात की थी - वो बेशर्मी से दूसरों से तो प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन खुद राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं।"
देशभर के 600 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है। वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका पर उठते सवाल और अखंडता को कमजोर करने के प्रयासों को देखते हुए वो चिंतित हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएँ थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है। ये सबकुछ 1 जुलाई से लागू हो जाएगा। गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमियों से जजों की नियुक्ति हो, प्रक्रिया मेरिट पर आधारित हो, प्रतियोगी हो और पारदर्शी हो।