Tuesday, April 30, 2024
Homeराजनीति'मेरिट के आधार पर हो जजों की नियुक्ति, पारदर्शी हो प्रक्रिया': CJI के सामने...

‘मेरिट के आधार पर हो जजों की नियुक्ति, पारदर्शी हो प्रक्रिया’: CJI के सामने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उठाई ‘नेशनल जुडिशल सर्विस’ की बात, बोलीं – न्याय तक हो सबकी पहुँच

इस दौरान उन्होंने 'बेंच एन्ड बार' में भारत की विशेष विविधताओं के प्रतिनिधित्व की भी वकालत करते हुए कहा कि इससे न्याय के कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार (26 नवंबर, 2023) को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘संविधान दिवस’ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया, जिसमें देश के मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश की व्यवस्था से गुलामी की निशानियों को मिटाने का कार्य चल रहा है। उन्होंने सभी क्षेत्रों में गुलामी की निशानियों को सजगता से मिटाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश की सारी व्यवस्थाओं को नागरिकों पर केंद्रित बनाना होगा, ताकि न्याय तक सभी पहुँच संभव हो सके।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारी व्यवस्थाएँ समय का उत्पाद हैं, या यूँ कहें कि गुलामी काल से निकली हैं। इस दौरान उन्होंने ‘बेंच एन्ड बार’ में भारत की विशेष विविधताओं के प्रतिनिधित्व की भी वकालत करते हुए कहा कि इससे न्याय के कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने ऐसी विविधतापूर्ण प्रक्रिया का एक विकल्प सुझाते हुए कहा कि एक ऐसा सिस्टम बनाया जाए जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमियों से जजों की नियुक्ति हो, प्रक्रिया मेरिट पर आधारित हो, प्रतियोगी हो और पारदर्शी हो।

उन्होंने कहा, “एक ‘ऑल इंडियन जुडिशल सर्विस’ की व्यवस्था बनाई जा सकती है, जिसके तहत प्रतिभावान युवाओं को चुना जाए, उन्हें निचले स्तर से ऊपर तक लाने के लिए तैयार किया जाए। जो बेंच में सेवा देना चाहते हैं, उन्हें देश भर से चुना जाए, ताकि प्रतिभाशाली युवाओं का एक समूह तैयार हो। ऐसी व्यवस्था से उन सामाजिक समुदायों को भी मौका मिलेगा, जिनका प्रतिनिधित्व कम है। न्याय तक सबकी पहुँच हो, तो इससे बराबरी का सिद्धांत भी मजबूत होता है।”

इस दौरान राष्ट्रति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान में वर्णित न्याय, स्वाधीनता, बराबरी और भाईचारे की भावना पर बल देते हुए कहा कि इन्होंने देश की आज़ादी की लड़ाई में भी बड़ी भूमिका निभाई थी और इसीलिए इन्हें संविधान के प्रस्तावना में भी विशेष स्थान मिला। उन्होंने कहा कि न्याय के रास्ते में आम लोगों के आड़े पैसा और भाषा जैसी चीजें आ जाती हैं। उन्होंने कहा कि संविधान सिर्फ एक लिखित दस्तावेज है, उसे अमल में लाया जाए तभी ये जीवित होता है। बता दें कि मोदी सरकार ने 2015 में संविधान को स्वीकृत करने वाले दिन हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

भक्तों से चढ़ावा लेने पर तमिलनाडु पुलिस ने 4 पुजारियों को किया गिरफ्तार: जानिए अंग्रेजों का काला कानून हिंदुओं को कैसे कर रहा प्रताड़ित

तमिलनाडु के एक मंदिर के चार पुजारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने भक्तों द्वारा चढ़ाए गए पैसे को अपने घर ले गए।

‘राम का मुकाबला करने के लिए शिव’: हिन्दुओं को बाँटने के लिए नया हथियार लेकर आई कॉन्ग्रेस, खड़गे को अपने प्रत्याशी का नाम याद...

श्रीराम की प्रशंसा परशुराम जी ने 'जय महेस मन मानस हंसा' कह कर की है, लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे राम और शिव को लड़ाना चाहते हैं। हिन्दुओं को बाँटने की ये कौन सी नई चाल है? शिव तो राम को पुष्कराक्ष, महाबाहो, महावक्षः और परन्तप कहते हैं, दोनों में कैसा भेद, कैसी लड़ाई?

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -