सवाल यह उठता है दैनिक भास्कर के वो कौन-से सूत्र हैं जो इस बात को पुख़्ता जामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक फ़ेक न्यूज़ संबंधी वेबसाइट चलाने वाले अभिषेक की वजह से बीजेपी को विधानसभा चुनाव में हानि हुई।
इस से पहले BBC को भी हमारे फ़ैक्ट-चेक के बाद अपनी रिपोर्ट एडिट करनी पड़ी थी। एक अलग मामले में 'द वायर' को भी हमारे फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट के बाद अपनी स्टोरी को एडिट करना पड़ा था।
प्रकाश जावड़ेकर के ट्वीट करने के बाद भी 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी ख़बर को 'Update' कर हाईलाईट कर के ट्वीट को तो जोड़ लिया, लेकिन फिर भी भ्रामक हेडलाइन को बदलने की ज़रूरत शायद नहीं समझी गई।
पत्रकार गोयल शर्मा ने हिंदुओं को आक्रामक और मुस्लिमों को पीड़ित पक्ष के रूप में चित्रित करने से संबंधित डेटा में हेरफेर करने के तरीके का बड़े स्तर पर पर्दाफ़ाश किया।