एनजीओ के सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि आरोपित बांग्लादेशी नागरिक पीड़ित नाबालिग लड़की को कुछ महीने पहले नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला कर बेंगलुरू लाए थे। इसके बाद उसे कडुगोड़ी के एक घर में रखा गया, जहाँ पीड़िता को प्रताड़ित किया गया और उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया।
प्रोटेस्ट के दौरान लोगों के बीच एक महिला आकर बैठ गई। उसके हाथ में कन्नड़ भाषा में लिखा एक बैनर था, जिस पर दलित मुक्ति, कश्मीर मुक्ति और मुस्लिम मुक्ति लिखा था। इसके देख वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी, लोगों ने उसे वहाँ से जाने को कहा, इसलिए हमने उसे किसी तरह मौके से रेस्क्यू किया और उसे हिरासत में लिया।