मद्रास हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 16(5) के तहत आता है, जो धार्मिक संस्थानों को उनके धर्म के आधार पर नियुक्ति करने की छूट देता है।
जस्टिस न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने कहा कि शौहर के दोबारा निकाह के कारण पहली बीवी को भावनात्मक तौर पर बेहद दुख और दर्द हुआ है। ये मानसिक क्रूरता जैसा है।