एक दशक पहले जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस नीत यूपीए की सरकार चल रही थी, तब हॉकी टीम के कप्तान ने बताया था कि खिलाड़ियों को जूते भी नसीब नहीं हैं।
ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस ने मान लिया है कि सोनिया या राहुल के पत्र गंभीरता नहीं जगा पाते। उसके पास किसी भी तरह के पत्र को विश्वसनीय बनाने का एक ही रास्ता है और वह है मनमोहन सिंह का हस्ताक्षर।