अलीगढ़ में भीम आर्मी, पीएफआई और एएमयू के एक छात्र संगठन के लोगों के बीच बैठक हुई। इसके बाद हिंसा भड़की। ठीक उसी पैटर्न पर दिल्ली में हिंसा की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इससे पहले दिल्ली के जामिया और यूपी में हुई हिंसा में भी पीएफआई की संलिप्तता सामने आई थी।
उपद्रवियों ने पथवारी देवी मंदिर पर पथराव किया। वो यहीं पर नहीं रुके, आगे दो और मंदिरों पर ईंट-पत्थर फेंके। इससे हिंंदुओं में रोष व्याप्त हो गया। स्थानीय लोग विरोध में आ गए और महिलाएँ धरने पर बैठ गईं। हिंदू समुदाय के लोग उपद्रवियों पर कार्रवाई की माँग करने लगे।
भीड़ ने जब मंदिर और पुलिस पर ज्यादा पथराव किया तो बदले में पुलिस ने पत्थरबाजों पर आँसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद वहाँ मौजूद लोगों में भगदड़ मच गई और धरना दे रहीं महिलाएँ भी भाग गईं। देहलीगेट और ऊपरकोट इलाके में सुबह से जारी जुलूस प्रदर्शनों में भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी शामिल रहे।
जिला प्रशासन ने AMU से जुड़े 44 छात्रों सहित कुल 58 लोगों की भी पहचान की है, जिनको शहर में शांति भंग करने के लिए प्रशासन नोटिस जारी कर रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को भी उनके पते उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
“हमें ध्यान रखना है कि हमें इतना भी न्यूट्रल (तटस्थ) नहीं होना है कि हमारी पहचान ही खत्म हो जाए। पहले हम मुस्लिम हैं और उसके बाद कुछ और हैं। हमारे अंदर का जो दीन है, जो इमान है, वह जिंदा रहना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि हम अल्लाह को भी मुँह दिखाने लायक न रह जाएँ।”
रुक-रुककर नारेबाजी का ये सिलसिला आधी रात तक चलता रहा। यहाँ कुछ एएमयू की छात्राओं ने भी तकरीर के जरिए महिलाओं को सीएए वापस होने तक डटे रहने और आमजन से धरने को सहयोग करने की अपील की।
सज्जाद ने शरजील इमाम का भी बचाव किया था। देशद्रोह के आरोपित शरजील को राष्ट्रवादी बताया था। कश्मीरी छात्र नेता सज्जाद ने पुलवामा आतंकी हमले के समय पूछा था कि कहीं इसके पीछे अपनी ही एजेंसियों का तो हाथ नहीं?
अपनी माँगों को लेकर एएमयू छात्रों द्वारा रोड जाम करने वाले 600 अज्ञात छात्रों के खिलाफ यूपी पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसके बाद से पुलिस सीसीटीवी कैमरे खंगालकर दोषियों की पहचान करने में जुट गई है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि देखना है तो मुस्लिमों का सब्र देखो। अग़र बर्बाद करने पर आए तो किसी देश को छोड़ेंगे नहीं। इतना गुस्सा है। वहीं जवाब में एक यूजर ने लिखा कि यह 1947 का हिंदुस्तान नहीं है कुचल कर रख देंगे।
आंदोलनकारी छात्रों के धरने में अचानक से एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर पहुँच गए। उन्होंने जाते ही छात्रों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक पोस्ट से सम्बन्धित कागज को दिखाते हुए नाराजगी जताई, जिसके जवाब में छात्रों ने कहा कि वायरल हो रही खबर के कारण हम 32 हजार छात्रों को कटघरें में खड़ा नहीं कर सकते।