जिलानी ने दावा किया कि 5 सदस्यीय पीठ ने जो फ़ैसला दिया है, वो अंतिम नहीं है। जिलानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव भी हैं। बोर्ड ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की बात कही थी।
पुलिस ने कुरान जलाने वाले और उनपर हमला करने वाले लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की चेतावनी के बावजूद कुरान को जला डाला। कुरान की एक प्रति को जलाया गया और 2 अन्य किताबों को कूड़ेदान में डाल दिया गया।
मुस्लिमों में शिया और सुन्नी, दोनों के ही तौर-तरीके अलग हैं। सुन्नी मुस्लिमों में तीन प्रमुख पंथ होते है- बरेलवी, देवबंदी और अहले हदीस। अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के बाद भी इस पर बहस शुरू हो गई है कि ये मस्जिद किस पंथ का होगा, शिया या सुन्नी?
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि जब मुस्लिम महिला आकर ऐसी कोई याचिका दायर करती है, तब सुप्रीम कोर्ट इसपर विचार करेगा। इस याचिका में मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं की एंट्री पर इस्लामिक प्रतिबन्ध को बराबरी के अधिकार के विरुद्ध बताया गया था।
पर्सिया के बादशाह ने पैगम्बर मुहम्मद की चिट्ठी को फाड़ डाला। पैगम्बर ने तब कई राजाओं को लिखा था कि अगर तुम इस्लाम नहीं अपनाओगे तो तुम्हारा साम्राज्य तहस-नहस हो जाएगा। पैगम्बर ने इस्लामी सैनिकों को 'जिहादी' की संज्ञा दी थी। 1400 वर्ष पूर्व शुरू हुई इस कहानी को जानने के लिए...
नारा लगाने वाला शख्स जब थियेटर से भाग रहा था तो कुछ दर्शकों और सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ने की कोशिश की। लेकिन, भीड़ का फायदा उठा वह निकल गया। बाद में अपने कोट के कारण वह पकड़ा गया।
महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर अनुमति के सम्बन्ध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। मामले में अगली सुनवाई 5 नवम्बर को होनी है।
"इस्लाम मुस्लिमों को कबूल नहीं करने देगा की भारत उनकी मातृभमि है। वे कभी नहीं कबूल करेंगे कि हिन्दू उनके स्वजन हैं।" राजनीतिक फायदे के लिए आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करने वाले भी आखिर क्यों आज उनकी इन बातों की चर्चा नहीं करते?
सुन्नी, शिया समुदाय को सच्चा नहीं मानते। शिया भी सुन्नियों को सच्चा मुस्लिम नहीं मानते। ये सालों या दशकों नहीं बल्कि सदियों से लड़ा जा रहा 'शांतिप्रिय समुदाय' का युद्ध है। इसके ख़त्म होने के भी कोई आसार नज़र नहीं आते।
पिछले साल अकेले सिंध प्रांत में ऐसे तकरीबन 1000 मामले सामने आए थे। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने बहुत कम कोशिशें की हैं।