Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजभंग हो सकता है शिया व सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड: हाईकोर्ट ने कहा- अपना रुख...

भंग हो सकता है शिया व सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड: हाईकोर्ट ने कहा- अपना रुख स्पष्ट करे सरकार

याचिकाकर्ता मसर्रत हुसैन ने वक़्फ़ एक्ट का हवाला देते हुए अदालत से इन दोनों ही बोर्डों को मिला कर एक बोर्ड बनाने के सम्बन्ध में आदेश देने के लिए निवेदन किया। इस एक्ट में कहा गया है कि दो ही परिस्थितियों में शिया और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की व्यवस्था की जा सकती है।

क्या शिया और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ख़त्म हो जाएगा? अगर इलाहबाद हाईकोर्ट के ताज़ा आदेश की बात करें तो ऐसा ही लगता है। हालाँकि, कोर्ट ने इस सम्बन्ध में कोई फ़ैसला नहीं लिया है लेकिन यूपी और केंद्र की सरकारों से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सरकार से पूछा है कि दोनों वक़्फ़ बोर्डों को मिला कर एक मुस्लिम बोर्ड बनाने को लेकर उसके क्या विचार हैं? कोर्ट ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए ऐसा कहा। इस पीआईएल में दोनों वक़्फ़ बोर्डों को भंग कर एक मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड बनाने की बात कही गई है।

जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस आलोक माथुर ने कहा कि वो फ़िलहाल इस मामले में कोई फ़ैसला नहीं ले रहे हैं। याचिकाकर्ता मसर्रत हुसैन ने वक़्फ़ एक्ट का हवाला देते हुए अदालत से इन दोनों ही बोर्डों को मिला कर एक बोर्ड बनाने के सम्बन्ध में आदेश देने के लिए निवेदन किया। इस एक्ट में कहा गया है कि दो ही परिस्थितियों में शिया और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की व्यवस्था की जा सकती है। पहली, प्रदेश में शिया वक्फ की कुल संख्या कुल वक़्फ़ का 15% या इससे अधिक हो। दूसरी, वक़्फ़ों की सम्पत्तियों व उनसे होने वाली आय में शिया वक़्फ़ का हिस्सा 15% या उससे ज्यादा हो।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ये दोनों ही परिस्थितियों नहीं हैं और इसीलिए दोनों ही वक़्फ़ बोर्डों को भंग कर दिया जाना चाहिए। उसने कहा कि इस सम्बन्ध में केंद्र और राज्य सरकारों को लिखे जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया है। बता दें कि मुस्लिमों में शिया और सुन्नी, दोनों के ही तौर-तरीके अलग हैं। सुन्नी मुस्लिमों में तीन प्रमुख पंथ होते है- बरेलवी, देवबंदी और अहले हदीस। अयोध्या में मस्जिद के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के बाद भी इस पर बहस शुरू हो गई है कि ये मस्जिद किस पंथ का होगा, शिया या सुन्नी?

हालाँकि, फिलहाल तो कोर्ट ने दोनों बोर्डों को भंग किए जाने की याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है लेकिन भविष्य में दोनों सरकारों का जवाब आते ही अदालत इस सम्बन्ध में आगे की सुनवाई करेगी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -