"कुछ लोगों का मानना है कि बच्चों का पैदा होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन जानवरों की तरह अधिक बच्चों को जन्म देना समाज और देश के लिए हानिकारक है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लागू होने पर यह देश के लिए अच्छा होगा।"
ये किसी फिल्म के दृश्य नहीं हैं जहाँ नाटकीयता के लिए आरी से किसी को काटा जाता है, किसी की खोपड़ी में लोहे का रॉड ठोक दिया जाता है, किसी की आँखें निकाल ली जाती हैं, किसी के दोनों गाल चाकू से चमड़ी सहित छील दिए जाते हैं, किसी के तिलक लगाने वाले ललाट को चाकू से उखाड़ दिया जाता है…
कश्मीरी पंडित इस दौरान 'कश्मीरी पंडितों को न्याय दो' के नारे लगाने शुरू कर दिए थे। कश्मीरी पंडितों की इस नारेबाजी से नाराज होकर CAA-विरोधी प्रदर्शनकारियों ने उनके साथ झड़प कर दी, जो कि कुछ ही देर में हाथा-पाई में बदल गई।
सबा नक़वी ने एक टीवी डिबेट के दौरान अपने चिरपरिचित अंदाज में हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला। न केवल कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने को लेकर एतराज जताया बल्कि जम्मू-कश्मीर पर भारत के अधिकार को लेकर भी सवाल उठाए।
नदीमर्ग तत्कालीन सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद के पैतृक गॉंव से महज 7 किमी दूर है। 54 लोगों की आबादी वाले इस गॉंव में 7 आतंकी घुसे। हिंदुओं को उनके नाम से पुकार घरों से बाहर बुलाया। चिनार के पेड़ के नीचे सबको जमा किया और...
बर्बरता की उस रात निहत्थे सिखों को दो समूहों में खड़ा किया गया। आतंकियों में से एक पास के ही गाँव का रहने वाला था। उसे एक सिख ने पहचान लिया। गोलीबारी से पहले उसने आतंकी से पूछा ‘चट्टिया तू इधर क्या कर रहा है’?
"उस रात इस्लामी आतंकियों ने 3 विकल्प दिए थे - कश्मीर छोड़ दो, धर्मांतरण कर लो, मारे जाओ। गिरिजा टिक्कू को सामूहिक बलात्कार कर टुकड़ों में काट दिया। बीके गंजू को गोली मारी और उनकी पत्नी को खून से सने चावल (वो भी पति के ही खून से सने) खाने को मजबूर किया।"
"मेरे पास बचपन की कई तस्वीरें नहीं हैं। जीवन और फैमिली एलबम के बीच चयन करने में कोई विकल्प नहीं है। जान बचाने के दौरान फैमली एलबम पीछे छूट गए। 30 साल हो गए। घर वापस जाने का संकल्प केवल मजबूत हुआ है।"
जम्मू-कश्मीर में कभी पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते तो कभी सेना पर पत्थरबाजी का सीन आम है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब कश्मीरी पंडित ने 'फ्री कश्मीर फ्रॉम इस्लामिक टेररिज़्म' का पोस्टर लहराया हो, विदेशी दल को जमीनी हकीकत से वाकिफ कराया हो।
कश्मीर पर अफवाह फैलाने में शेहला रशीद पुरानी उस्ताद रही हैं। वे ट्ववीट कर सेना पर कश्मीरियों को प्रताड़ित करने का आरोप तक लगा चुकी हैं। सेना ने उस वक्त कहा था कि लोगों को भड़काने के लिए असामाजिक तत्व और संगठन फर्जी खबरें फैला रहे हैं।