रोहिंग्या संगठन ARSA ईसाइयों को प्रताड़ित कर रहा है। हालिया हमले में 12 रोहिंग्या ईसाई गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ के शरीर पर एसिड फेंक कर हमला किया गया। पीड़ितों में महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल हैं।
हिरासत में लिए गए लोगों से उनका डाक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया था, लेकिन उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं थे। पुलिस को शक है कि उनमें से कुछ आपराधिक गतिविधियों में भी संलग्न हैं।
बांग्लादेश की आशा अख्तर भिलाई में नाम बदलकर रह रही थी। उसने 5 अक्टूबर 2017 को हेमेंद्र पराडकर से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी और फिर इसी आधार पर उसने भारतीय पहचानपत्र वाले दस्तावेज बनवा लिए थे।
बॉर्डर पार करने वालों की संख्या में ये इजाफा असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) की दूसरी लिस्ट आने के बाद आया है। ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में गैरकानूनी तरीके से बांग्लादेश जाने वालों की संख्या में 50 फीसदी का इज़ाफा हुआ।
"मेरा परिवार पाकिस्तान के सुरक्षा माहौल से डरा हुआ है। इस हालात में मैं पाकिस्तान नहीं जा सकता और वहाँ जाकर खेल नहीं सकता। बांग्लादेश क्रिकेट टीम से एक सीरीज के दौरान बाहर बैठना मेरे लिए हमेशा ही बहुत कठिन रहा है।"
बंगाल की खाड़ी में स्थित यह द्वीप 20 साल पहले ही उभरकर सतह पर आया था। बरसात के मौसम में इसके डूबने का खतरा बना रहता है। पिछले दिनों 66 रोहिंग्या अंडमान में घुसते पकड़े गए थे।
24 वर्षीय पीड़िता के घर में रात के वक्त मकान मालिक मोहम्मद कलाम 4-5 लोगों के साथ घुस आया और किराया मॉंगने लगा। किराया नहीं मिलने पर पीड़िता के पति को एक कमरे में बंद कर दिया। फिर महिला के साथ बलात्कार किया और उसके गहने छीनकर ले गए।
बांग्लादेशियों द्वारा BSF के जवानों को निशाना बनाने का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले पश्चिम बंगाल में तो बांग्लादेशियों ने एक जवान के हाथ पर बम फोड़ दिया था, जिससे अनीसुर रहमान नामक बीएसएफ जवान का हाथ कोहनी से फटकर ही नीचे गिर गया था।