फिलहाल बिहार महागठबंधन के सीटों की आधिकारिक घोषणा होने तक इंतजार कीजिए और ये सोच के मज़े लीजिए कि जब सीटों की ये मारामारी है तो प्रधानमंत्री पद के लिए किस हद तक जाया जा सकता है?
नए चेहरों को लाकर पार्टी एक तरह का संदेश देना चाहती है - जनता को भी और सांसदों को भी। सांसदों को लेकर एक तरफ जहाँ जनता की राय ली गई है, वहीं सांसदों से भी उनके द्वारा कराए गए कार्यों का ब्योरा माँगा गया है।
मई 2017 में घोष सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे और वह 2013 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे। पीसी घोष तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला को आय से अधिक मामले में दोषी ठहरा चुके हैं।
DMK के घोषणापत्र में एक तरफ जहाँ लोक-लुभावन घोषणाओं की झड़ी लगाकर वोटरों को साधने की कोशिश की गई है, तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारे को रिहा कराने का वादा भी किया गया है।
बंगाल में वामदलों ने कॉन्ग्रेस को दरकिनार कर दिया। सपा-बसपा ने यूपी में कॉन्ग्रेस को धता बता कर गठबंधन कर लिया। अब तेजस्वी यादव के अल्टीमेटम के बाद बिहार कॉन्ग्रेस को या तो कम सीटों पर समझौता करना पड़ेगा या अकेले चुनाव लड़ना पड़ेगा।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी को सबसे बड़ा फायदा होने वाला है। यहाँ भाजपा को 32 प्रतिशत वोट शेयर और 11 सीटें प्राप्त हो सकती है। जबकि कॉन्ग्रेस और लेफ्ट का खाता खुलना न के बराबर नज़र आ रहा है।