उन्होंने भारत को विभिन्न धर्मों, जातियों और उप-जातियों का देश बताते हुए लिखा कि शताब्दियों से जैविक पुरुष एवं जैविक महिला के बीच विवाह की मान्यता रही है।
समलैंगिक विवाह पर प्रतिक्रिया देते हुए कंगना रनौत ने कहा है कि आपके जेंडर से आपके अलावा किसी को फर्क नहीं पड़ता। आप जो काम करते हैं, उससे आपकी पहचान होती है।
"मानव सभ्यता और संस्कृति की स्थापना के बाद से विवाह को स्वीकार किया गया है। प्रजनन और मनोरंजन - दोनों ही उद्देश्य के लिए पुरुष और महिला को अलग-अलग तरीके से वर्गीकृत किया गया है।"