एक सर्च ऑपरेशन के दौरान CRPF की 45वीं बटालियन पर आतंकियों ने गोली चलाई थी। बकौल चेतन चीता, उनके पास बच कर निकलने का मौका था, लेकिन उन्होंने गोलियों का सामना करना उचित समझा।
जब कुछ लुटेरे गिरफ्तार हुए तो फरीदाबाद पुलिस ने लिखा, "कहता है फ़ैज़, इम्मी और आदिल कि लॉकडाउन में धंधा मंदा था इसीलिए लूट-लूट खेल रहे थे। असल में इन तीनों की बुद्धि मंद थी। पुलिस ने सीटी बजा दी है।
“मैं गाँव का सरपंच होने के नाते पीड़ित परिवार से मिलने गया। वहाँ पर पहले से ही कुछ पत्रकार बैठ कर हिंदुओं के खिलाफ जहर उगल रहे थे। मैंने कोशिश की कि इसको रोकूँ लेकिन....”
आसिफ की मृत्यु की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद, कुछ मीडिया हाउसों ने दावा किया कि उसे मारे जाने से पहले 'जय श्री राम' बोलने के लिए मजबूर किया गया था, जिसकी वजह से घटना ने सांप्रदायिक मोड़ ले लिया।