कल गुरूद्वारे पर हमले के बाद पूरा अफगानिस्तान अपने सिख-हिन्दू भाइयों के लिए उमड़ पड़ा और अपनी सहानुभूति व्यक्त कर उसके साथ खड़े होने की दृढ़ता दिखाई। इस हमले पर अभी तक तालिबान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी लेकर एक बार फिर अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने रख दिया। इधर भारत में लिबरल-वामपंथी गिरोह इसको लेकर चुप्पी साधे हुए है। जैसे उसने सुकमा में नक्सली हमले के वक्त साधा था।
"भारत में कुछ लोग इनके प्रवेश का विरोध करते हैं। इन्हें नागरिकता देने की बात पर राजनीति साधते हैं। वे चाहते हैं कि आतंकियों को भी नागरिकता दी जाए ताकि वे यहाँ उनका पालन कर सकें और हत्याएँ जारी रख सकें।"
हमला सुबह-सुबह हुआ। उस समय अरदास के लिए गुरुद्वारे में छोटे बच्चों समेत करीब 150 लोग मौजूद थे। मोहन सिंह ने बताया कि गोली चलने की आवाज सुन उन्होंने खुद को टेबल के नीचे छिपा लिया। अचानक धमाका हुआ और छत का एक टुकड़ा उन पर आ गिरा।
आत्मघाती धमाके के बाद बंदूकधारी गुरुद्वारे में दाखिल हो गए। सुरक्षा बलों ने गुरुद्वारे के पहले तल को खाली करा लिया है। मुठभेड़ जारी है। अंदर फॅंसे कई लोग सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं।
"हम अफगानिस्तान यह सोचकर आए थे कि 'खलीफा' के हिसाब से इस्लामी जीवन जी सकेंगे। लेकिन जब हम यहाँ पहुँचे, तो हमने महसूस किया कि लोग नमाज पढ़ने तक के लिए भी नहीं जा रहे थे।" आयशा का पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला भी आईएस को लेकर काफी निराश था। इसलिए उसने वहाँ आत्महत्या कर ली।
निमिषा एक डेंटल स्टूडेंट थी। जो केरल के तिरुवनंतपुरम इलाके की रहने वाली थी। इसने बिना अपनी माँ को बताए बेक्सिन नामक एक ईसाई से शादी की थी। बाद में दोनों ने इस्लाम कबूल लिया था और कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर कट्टरपंथ की राह पर चल पड़े थे।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने काबुल में हुए इस हमले की एक अन्य वीडियो को भी ट्विपर पर शेयर किया है और इस तरह की घटनाओं को शर्मनाक बताया है। उन्होंने इस घटना पर फौरन कार्रवाई के लिए विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से और काबुल में स्थित भारत की एंबैसी से गुहार लगाई है कि वे इस मामले को अफगानिस्तान सरकार के सामने उठाएँ और वहाँ पर सिखों और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
अफगानिस्तान में 29 फरवरी को शांति समझौता हुआ था। हमलों से पहले ट्रंप और तालिबानी नेता मुल्ला बरादर के बीच बातचीत भी हुई थी। ताजा हमलों से शांति समझौता टूटने की कगार पर पहुॅंच गया है।
एक ख़ास किस्म का तेल और शहद। इन दो चीजों के साथ 7 तस्करों ने 177 हेरोइन कैप्सूल निगल डाले। इसके बाद दिल्ली के जिस होटल में ये रुकते, वहाँ मल के साथ इन कैप्सूलों को बाहर निकालते। अर्थात, मुँह से निगले गए कैप्सूलों को गुदाद्वार से बाहर निकाल कर उसकी सप्लाई की जाती। लेकिन...
यकीनन, अफगानिस्तान में तालिबान का प्रभाव पूरी तरह खत्म अब भी नहीं हो पाया है। लेकिन उसके जख्मों पर जोहरा का संगीत मरहम जैसा ही है। दुआ करिए बदलाव की बयार बनी इन बेटियों को फिर से कट्टरपंथियों की नजर न लगे।