"हम भारत की विधायी इकाई में अपना प्रतिनिधित्व माँग रहे हैं। जम्मू-कश्मीर को बाँटकर बनाए गए दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में रिजर्व सीटों पर गिलगिट-बाल्टिस्तान के लिए भी सीटें होनी चाहिए। हमारा मानना है कि भारत की राज्यसभा और लोकसभा में भी हमारा प्रतिनिधित्व होना चाहिए। हम भारत का अभिन्न हिस्सा हैं।"
लोकसभा में अमित शाह की ओर से लाया गया संकल्प स्वीकार किया गया है। इसके पक्ष में 370 और विपक्ष में 70 वोट पड़े हैं। एक सांसद ने अपना मत नहीं डाला, जबकि कुल 441 सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा लिया है। इसके साथ ही लोकसभा से भी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 पास हो गया है।
कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी अलग ही राग छेड़ते दिखे। उन्होंने बेतुकी बात कहते हुए कश्मीर मसले को UN का मसला बता दिया। इस पर अमित शाह ने करारा जवाब देते हुए कहा कि अब कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र मॉनिटर करेगा?
सरकार की घोषणा के बाद केंद्र शासित प्रदेशों की लिस्ट में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का नाम जुड़ गया है। वहीं, 29 राज्यों में से एक राज्य (जम्मू-कश्मीर) घट गया जिससे अब कुल राज्यों की संख्या 28 हो गई है और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 9 हो गई है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा में पास हो गया है। जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बाँटने वाले इस बिल पर सदन में बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े तो वहीं इसके विपक्ष में 61 वोट पड़े। जबकि एक सदस्य गैर हाजिर रहा। इससे पहले राज्यसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा कश्मीर में लागू अनुच्छेद-370 और 35 A को खत्म करने के प्रस्ताव को पेश करते ही विपक्षी पार्टियों और लिबरल गैंग को झटके लगने शुरू हो गए हैं। बरखा दत्त ने ट्वीट किया, “एक डेस्क में दो विधानसभा, दो प्रधान, दो निशान नहीं हो सकते।”
अनुच्छेद 370 (1) के अलावा सभी खंड राष्ट्रपति के अनुमोदन से खत्म होंगे। अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश करते ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया।
संसद भवन में गृह मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक जारी है। गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में जारी इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और गृह सचिव राजीव गाबा भी मौजूद हैं।
गृह मंत्री ने कॉन्ग्रेस के दिनों को याद करते हुए लिखा कि तीन दशक पूर्व एक अवसर तब आया था, जब शाहबानो मामले में 400 से अधिक सांसदों वाली कॉन्ग्रेस मुस्लिम महिलाओं को इस दंश से मुक्त करा सकती थी। मगर, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मौलवियों और वोट बैंक की राजनीति के दबाव में आकर एक नया कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
राज्यसभा में विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) मतलब UAPA संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े। इस बिल में आतंक से संबंध होने पर संगठन के अलावा किसी शख्स को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है।