"एक्ट्रेस को ट्वीट करने पर एंबेसडर की भूमिका से नहीं हटाया गया है। हमने एक्ट्रेस से एक साल का एग्रीमेंट साइन किया था, जो अप्रैल 2017 में खत्म हो गया था, जिसे बाद में रिन्यू भी नहीं किया गया था।"
सैनिक स्कूलों को पारंपरिक रूप से एक पुरुष गढ़ के रूप में देखा जाता है। इन स्कूलों में लड़कियों को प्रवेश देना राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में महिला कैडेटों को शामिल करने की दिशा में पहला क़दम है।
इस योजना के प्रभाव से अब लोग घर के बाहर लगे नेमप्लेट को बदलकर उन पर महिलाओं के नाम लिखवा रहे हैं। मावा खोलान की प्रधान संगीता देवी ने कहा कि लड़कियाँ आज बहुत अच्छा कर रही हैं, और लोग जानते हैं कि आने वाला समय उनका है।
लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता है, जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।
'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की प्रमुख ज़रूरत देशव्यापी जागरूकता अभियान भी है। पर राहुल और उनके पिट्ठू मीडिया को वास्तविक तथ्यों से अवगत हो और उसे सच्चाई के साथ पेश करने की उम्मीद करना बड़ा सवाल है।