आज मतगणना के दिन शाहीन बाग में सन्नाटा है, जहाँ सुबह से ही प्रदर्शनकारी जुटने लगते थे, वहीं मंगलवार को शाहीन बाग पूरी तरह खाली नज़र आया, दोपहर के समय में मात्र इक्का-दुक्का लोग दिखाई दिए। क्या शाहीन बाग दिल्ली विधान सभा चुनाव स्टंट का एक हिस्सा था? अब जब उन्हें कोई हटा नहीं रहा है तो वे खुद ही शाहीन बाग छोड़ के क्यों चले गए हैं?
सोमवार को मंडी हाउस में प्रदर्शनकारियों द्वारा सीएए के विरोध में मार्च निकालने के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए पहले ही बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया था कि, यहाँ कोई विरोध-प्रदर्शन या धरना देने का स्थान नहीं है, किसी को धरना देना या विरोध-प्रदर्शन करना है तो वह जंतर-मंतर जाए।
जिला प्रशासन ने AMU से जुड़े 44 छात्रों सहित कुल 58 लोगों की भी पहचान की है, जिनको शहर में शांति भंग करने के लिए प्रशासन नोटिस जारी कर रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को भी उनके पते उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो 'आजादी' के नारे लगा रहे हैं। ये वीडियो राजधानी दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास का बताया जा रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है जब एक बच्चा कहता है, "हम क्या चाहते" और उसके पीछे-पीछे खुर्शीद कहते हैं, "आजादी"
"मैं समझ नहीं पा रहा कि मुस्लिम नागरिकता कानून और एनआरसी के खिलाफ क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे। कौन उनको देश से निकालने जा रहा जो जन्म से भारतीय हैं?नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर आप किसको अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं?"
शाहीन बाग़ के उपद्रवियों का कहना है कि अब वो रामलीला मैदान शिफ्ट होने के लिए तैयार हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है। न्यायपालिका के प्रति आस्था का दिखावा करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसा कहेगा, वैसा किया जाएगा।
कानपुर डीआईजी ने कहा था धरने का चेहरा बने और उपद्रवियों को पनाह देने के आरोपितों पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। मोहम्मद अली पार्क और फूल पार्क में धरने को बाहर से लोग आकर समर्थन देने के साथ धरने पर बैठे लोगों को उकसा भी रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि विरोध ऐसा हो कि किसी दूसरे को कोई परेशानी न हो। सुनवाई को दौरान जजों ने तीखी टिप्पणी भी की और कहा कि अनिश्चित समय के लिए कोई कैसे पूरी सड़क को जाम कर सकता है?
“हमें ध्यान रखना है कि हमें इतना भी न्यूट्रल (तटस्थ) नहीं होना है कि हमारी पहचान ही खत्म हो जाए। पहले हम मुस्लिम हैं और उसके बाद कुछ और हैं। हमारे अंदर का जो दीन है, जो इमान है, वह जिंदा रहना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि हम अल्लाह को भी मुँह दिखाने लायक न रह जाएँ।”
डीएस बिंद्रा AIMIM के दिल्ली महासचिव हैं। इन्होंने अपना फ्लैट बेचकर शाहीन बाग में खाने-पीने का इंतजाम कराया, जिसे मीडिया गिरोह ने 'मुस्लिम-सिख एकता' की चासनी में डूबो कर बेचा। आम आदमी पार्टी, कॉन्ग्रेस और PFI के समर्थन के बाद अब...