वीडियो में आप देख सकते हैं कि बड़े-बड़े कंटेनर्स हैं, जिसमें तेजाब, सल्फ्यूरिक एसिड, सल्फर वगैरह भरे हुए हैं। और 5000-5000 लीटर वाले तमाम कंटेनर के ऊपर लिखा गया है ‘गंगाजल’। इसी 'गंगाजल' को मुस्तफाबाद, चाँदबाग, करावल नगर और यमुना विहार जैसे हिंसाग्रस्त इलाके में भर-भर कर सप्लाई किया गया।
यह संभव नहीं है कि एक समुदाय विशेष हिन्दुओं के घरों को जलाने के लिए उन्हें चिन्हित करे, जलाए और बदले में हिन्दू जाकर उसे गले लगा आए। यह दंगा-साहित्य कुछ पुरस्कार जीतने के लिए लिखी गई किताबों तक सीमित रहे, मानवता के लिए उनका योगदान उतना ही काफी माना जाएगा।
लाश बरामद होने के बाद से ही इलाके में सनसनी फैली गई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस पड़ोस के लोगों से भी इस मामले के संबंध में पूछताछ कर रही है। फिलहाल शव की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
धर्मेंद्र की माँ और छोटे भाई का रो-रोकर बुरा हाल है। देखकर ऐसा लगा कि जैसे वह किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। धर्मेंद्र के पिता वीरसहाय हर रोज सुबह बिना कुछ खाए-पिए अपने बेटे को खोजने निकलते हैं, लेकिन देर रात हताश होकर खाली हाथ घर लौट आते हैं।
जब दुकान मालिक अनिल पाल पुलिस के साथ अपनी दुकान का हाल जानने वहाँ पहुँचे तो उन्हें मृतक नेगी का शरीर दूसरी मंजिल पर सीढ़ी के पास मिला, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो दंगाइयों को देखकर बिल्डिंग से कूदने की कोशिश कर रहे थे।
“मेरी बेटी गार्गी कॉलेज में पढ़ती है। वह 5 दिन से घर लौटकर नहीं आई है। अपनी दोस्त के साथ पीजी में रूकी हुई है। अगर यही माहौल रहा तो हम यहाँ नहीं रहेंगे, गाँव से जमीन बेचकर यहाँ आए थे, अब यहाँ से बेचकर कहीं और चले जाएँगे।”
दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगे कोई अकस्मात घटने वाली घटना नहीं थी, बल्कि यह एक पूर्व नियोजित और पूरी तैयारी के साथ रची गई साजिश थी। ताहिर हुसैन के घर के पास इतना ज्यादा पत्थर था कि उससे एक मंजिला मकान बन सकता है। यह बात नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने खुद...
“मैं वहाँ मौजूद नहीं था। मैं खुद अपने बच्चों और परिवार को बचाने की कोशिश कर रहा था। यह बहुत दुख की बात है कि उन्होंने (अंकित के माता-पिता) अपने बच्चे को खो दिया, लेकिन वे जो चाहें कह सकते हैं। मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है। ये आरोप झूठे हैं और इसके लिए मुझे फ्रेम करना गलत है।”
मोबाइल गुलेल, जी हाँ मोबाइल गुलेल! रिक्शे पर लोहे के एंगल को वेल्डिंग कर के बनाई गई। इसे मोबाइल गुलेल कहा जाता है। जहाँ चाहे, वहाँ ले जाओ और हिंसा को अंजाम दो। हिंदू घरों को टारगेट कर इस मोबाइल गुलेल से पेट्रोल बम की बोतलें, बड़े-बड़े पत्थर फेंके गए।