कॉन्ग्रेस ने भीष्म शर्मा को नज़रअंदाज़ करते हुए शीला दीक्षित को उतार दिया। शीला और भीष्म में पुरानी प्रतिद्वंद्विता है और इसीलिए शीला ने प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही सबसे पहले भीष्म शर्मा पर गाज गिराई। उन्हें 6 वर्षों के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
उदित राज ने पहले ही बयान देते हुए कहा था कि उन्हें राहुल गाँधी और केरीवाल ने टिकट कटने को लेकर पहले ही आगाह किया था। इससे पता चलता है कि वो शायद पहले से ही आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस के साथ संपर्क में थे। उन्होंने कहा कि अब उन्हें ख़ुशी का अनुभव हो रहा है।
ये दो राष्ट्रीय पार्टियों के प्रदेश अध्यक्षों की लड़ाई होगी। दोनों ही ब्राह्मण हैं और दोनों ही पूर्वांचल से आते हैं। इस सीट पर पूर्वांचलवासियों की अच्छी-ख़ासी तादाद को देखते हुए कॉन्ग्रेस और भाजपा दोनों ने ही उपयुक्त चेहरे पर दाँव खेला है। शीला बनाम तिवारी एक दिलचस्प मुक़ाबला होगा।
आम आदमी पार्टी लगातार कॉन्ग्रेस के साथ दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ में गठबंधन करने को कह रही है। अभी हाल ही में केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कॉन्ग्रेस से गठबंधन के लिए अपील की थी।
लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दक्षित को दिल्ली कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। शीला इस पद पर अजय माकन की जगह लेगीं, जिन्होंने कुछ दिनों पहले इस्तीफ़ा दे दिया था
शीला दीक्षित ने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि इन सब मामलो में सामान्य पार्टी कार्यकर्ताओं की राय नहीं ली जा सकती है और हमे हर हाल में आलाकमान का जो भी फैसला हो उसे ही मानना पड़ता है।