दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के बाद अब सीलमपुर इलाके में नागरिकता कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की बसों में जमकर तोड़फोड़ की। प्रदर्शन के दौरान लोगों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया। इसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं।
जामिया नगर में CAA कानून बनने के बाद हुए बवाल पर पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। जबकि अन्य लोगों की जाँच जारी है। इस मामले में पुलिस ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाकर दंगे भड़काने के लिए 2 एफआईआर भी दर्ज की हैं।
अनुराग कश्यप ने ट्विटर से स्वयंभू निर्वासन समाप्त कर दिया है। आते ही जामिया की हिंसा का दोष मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस के मत्थे मढ़ने की कोशिश की है। सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन आने से ठीक पहले उन्होंने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट किया था।
बीते 3 महीने में 750 फ़र्ज़ी आईडी कार्ड बरामद किए गए हैं। इससे पता चलता है कि जामिया में हिंसा की साज़िश लंबे समय से रची जा रही थी। हिंसा भड़काने की तैयारी काफ़ी पहले से थी और संशोधित नागरिकता क़ानून के रूप में उन्हें एक नया हथियार मिल गया।
अफवाहों को चारों तरफ़ से नकारे जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर पुलिस की गोली से जामिया के छात्रों के मारे जाने की ख़बरें लगातार सर्कुलेट होती रहीं। न सिर्फ़ प्रोपेगेंडा पोर्टलों ने बल्कि कुछ पत्रकारों ने भी छात्रों को भड़काने के लिए झूठी ख़बरें शेयर की।
दिल्ली के जामिया नगर में जहॉं यह यूनिवर्सिटी स्थित है जिहादी नारे लगाए गए। कथित प्रदर्शनकारी 'हिंदुओ से लेंगे आजादी, छीन के लेंगे आजादी और लड़ के लेंगे आजादी' जैसे नारे लगा रहे थे। हिंसा भी हुई। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया। हालॉंकि देर रात उन्हें छोड़ दिया गया।
पिछले महीने फ़ीस बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ जेएनयू कैम्पस के अंदर हुआ प्रदर्शन काफ़ी हिंसक हो गया था, इसलिए पुलिस ने सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शन को लेकर पूरी मुस्तैदी दिखाई। जेएनयू की तरफ जाने वाली सड़कों पर आवागमन रोक दिया गया था।
"आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग लगने के बाद उठे धुएँ के कारण परिसर में बहुत सारा प्लास्टिक था। अधिकतर मौतें धुएँ के कारण श्वासावरोध के कारण हुईं। हमने अधिकांश घायलों को एलएनजेपी अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया है।"
सेंधमारी के लिए ऐसे घरों का चयन किया जाता था, जो काफ़ी समय से बंद हों और वहाँ कोई रहता न हो। इसके बाद आरोपित उस घर में सेंधमारी करने जाते थे तो अच्छे कपड़े पहनकर जाते थे, जिससे पड़ोसियों को लगे कि वो उस घर के सदस्यों के कोई रिश्तेदार हों।