सत्ता में रहते हुए गुलाम नबी आजाद ने भी तुष्टिकरण के उस एजेंडे को पूरी तरह लागू किया जिसकी कॉन्ग्रेस जनक रही है। उनकी 'उपलब्धियाँ' भी मुस्लिमों के राजनीतिक ठेकेदार जैसी ही हैं।
इस मदरसे में छात्रों को इस्लामी जीवन शैली और केवल अरबी भाषा ही सिखाई जाती है। हिंदी, अंग्रेजी जैसी कोई अन्य भाषा, यहाँ तक कि स्थानीय भाषा मराठी भी नहीं पढ़ाई जाती है।