इस वीडियो को देखकर शायद ही किसी के मन में यह सवाल नहीं उठेगा कि फ़िल्म ‘छपाक’ में एसिड हमले की शिकार हुई जिस लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार दीपिका ने निभाया, उसे गंभीरता से लिया भी होगा या नहीं?
"मुझे बूढ़ा तो नहीं होना है, लेकिन मैं खुश हूँ। मैं अपने दिमाग से क्लियर हूँ। मुझे ज्यादा यंग लगने को कोई प्रेशर है ही नहीं। जब तक काम मिलता है, मिलता रहेगा, जब रिटायर करेंगे तो रिटायर हो जायेंगे, चिल करेंगे।"
'लिबरल' शिवसेना शायद भूल गई कि यह इंटरनेट का युग है। जो कभी कुछ नहीं भूलता और न लोगों को भूलने देता है। दीपिका पादुकोण के समर्थन पर सोशल मीडिया में यूज़र्स ने शिवसेना को तुरंत आड़े हाथों लिया और ठग करार दिया।
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एसिड पीड़िता की वकील अपर्णा को क्रेडिट दिए बिना फ़िल्म रिलीज़ पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इसके लिए 15 जनवरी तक मल्टिपलेक्स और अन्य जगहों पर 17 जनवरी तक की मोहलत दी गई है।
एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल का केस लड़ने वाली वकील को क्रेडिट देने के निचली अदालत के फ़ैसले के एक दिन बाद Fox Studios और फ़िल्म की निर्देशक मेघना गुलज़ार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक अपील दायर की है।
दीपिका पादुकोण की फ़िल्म छपाक अपनी रिलीज़ से पहले ही विवादों में घिरती जा रही है। एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की वकील अपर्णा भट्ट फ़िल्म निर्माताओं से नाराज़ दिख रही हैं। उन्होंने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की माँग की है।
सोचिए उस एसिड अटैक विक्टिम के बारे में अब। सोचिए कि दीपिका के एक गलत कदम (विषय के लिए गलत, फिल्म के लिए मास्टरस्ट्रोक) से उन तमाम लोगों को कैसा लग रहा होगा जिसने इस विषय को ले कर उम्मीद बनाई थी। ये एक राजनैतिक विषय नहीं है। ये घोर सामाजिक विषय है।
एडीजे कोर्ट ने जेल में बंद अभिनेत्री पायल रोहतगी को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें जमानत दे दी है। कोर्ट ने पायल की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों के वकीलों की बहस के बाद रोहतगी द्वारा सोशल मीडिया पर डाले गए नेहरू-गाँधी परिवार के वीडियो को देखा और इसके बाद अपना फैसला सुनाया।
एक यूजर ने लिखा कि हिन्दुओं को सेंसर बोर्ड से दबंग 3 फिल्म के सर्टिफिकेशन को रद्द करने की माँग करनी चाहिए। क्या फिल्म मेकर्स में इतनी हिम्मत है कि वो पादरियों या मौलवियों को इस तरह से नाचते हुए दिखा सके।
शिक़ायत में फ़िल्म हेलारों के निर्देशक अभिषेक शाह, निर्माता आशीष सी पटेल, नीरव सी पटेल, आयुष पटेल, मीट जानी के साथ-साथ संवाद लेखक सौम्या जोशी और संपादक प्रतीक गुप्ता के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा कथित रूप से 'समुदाय का अपमान करने और भावनाओं को आहत करने' से प्रतिबंधित 'शब्द' का उपयोग करने के ख़िलाफ़ कार्रवाई किए जाने की माँग की गई है।