भारतीय किसान यूनियन की याचिका में माँग की गई है कि कृषि सुधार क़ानूनों से संबंधित पूर्व याचिकाओं पर सुनवाई हो। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानून कृषि क्षेत्र को निजीकरण की तरफ लेकर जाएँगे।
किसानों के आंदोलन के नाम पर 'अन्नदाता' कह-कह कर खूब इमोशनल ब्लैकमेल चल रहा है। जबकि वहाँ खालिस्तानी समर्थक और दिल्ली के दंगाइयों को समर्थन देने वाले वामपंथियों का जुटान हो रखा है।
पहले सांसद कानून बनाते थे, तो अभी भी वही बनाएँगे, ये कहीं से भी उचित नहीं है। अच्छी बात तो यह होगी कि किसान अपने कानून स्वयं बनाए, आतंकी UAPA में संशोधन करे, डॉक्टर निजी प्रैक्टिस पर बिल बनाएँ।
“तुम्हारी (इमरान खान) सरकार खुद काँप रही है और अंदाज़ा नहीं है कि आगे क्या करना है। पाकिस्तान सरकार के लिए स्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं है कि छुपना कहाँ है।”
बूता सिंह ने कहा ने कहा कि उनका यह निर्णय आज की मीटिंग में लिया गया है कि अब भारत के सभी लोग पटरियों पर उतरेंगे। संयुक्त किसान मंच इसकी तारीख तय करेगा और घोषणा होगी।
रबी और खरीफ की खरीद अच्छे से हुई है। एमएसपी को डेढ़ गुना किया गया है, खरीद की वॉल्यूम भी बढ़ाया गया है। अगर इसके बावजूद एमएसपी के मामले में किसानों को कोई शंका है तो सरकार लिखित में आश्वासन देने को तैयार है।
विजयपाल सिंह कजरी निरंजनपुर स्थित निजी स्कूल अकाल एकेडमी में बतौर उपप्रधानाचार्य कार्यरत थे। किसान आंदोलन से संबंधित एक वायरल वीडियो पर टिप्पणी करने के बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
रवीश कुमार ने कथित किसान आन्दोलन के बीच एक बार फिर अम्बानी-अडानी का जिक्र लाकर बहस को नई दिशा दी है। उनके दावे व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के दावों से भिन्न नहीं हैं।