फरवरी 24, 2020 को केंद्र सरकार द्वारा जारी 'प्रधानमंत्री किसान योजना' को ठीक एक साल पूरा हो जाएगा। सरकार ने देश के अन्नदाताओं की माली हालत में सुधार के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। वर्ष 2019 में पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से इस योजना का उद्घाटन किया था।
"किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत मासिक पेंशन दिया जाएगा, जिसके लिए 18 से 40 उम्र तक के किसान खुद को इस स्कीम में पंजीकृत कर सकते हैं। इसके बाद 60 की उम्र पार करते ही उन्हें 3000 रुपए हर महीने मिलने लगेंगे।"
इस घोटाले के बारे में उन्हें तब मालूम चला था जब बीज निगम ने भुगतान के लिए अपना बिल कृषि विभाग के पास भेजा था। इस दौरान 99 लाख का फर्जी बिल पाया गया, जिसके बाद ही घोटाले की विभागीय जाँच शुरू हुई।
भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष पूनम चंद्राकर ने कर्ज़माफ़ी की सच्चाई जानने के लिए समिति का गठन किया है। इस जाँच समिति में मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भारत सिंह सिसोदिया, चंदन साहू, गौरीशंकर श्रीवास और दिलीप पाणिग्रही शामिल हैं।
बीटी कपास बीज के MSP को कम करने के क़दम के तहत स्वदेशी जागरण मंच (SJM) सहित कई संगठनों ने माँग की थी कि ट्रेट शुल्क को पूरी तरह से हटा दिया जाए ताकि किसानों को उच्च क़ीमतों का 'अनावश्यक बोझ' न उठाना पड़े।
2012-13 में कृषि परिवार की औसत आय 6426 थी, जो अब बढ़कर 8058 हो गई है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की सरकार ने फरवरी 2016 में किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करनी की बात कही थी।
राज्यों में चुनाव जीतने से पहले राहुल यह वादा करते थे कि अगर वो चुनाव जीतते हैं तो 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ़ कराएँगे। लेकिन चुनाव के तुरंत बाद राहुल जनता को समझाते नज़र आए कि यह इतना आसान काम नहीं हैं।