अल्पसंख्यक युवती ने दो हिंदू युवकों पर झूठी शिकायत दर्ज कराई है। इसमें एक नाबालिग का नाम भी है। इसके अलावा लड़की ने नाबालिग लड़के के बड़े भाई को भी छेड़खानी का आरोपित बताया है, जबकि परिजनों का कहना है कि वह तो घटना के दिन वहाँ मौजूद ही नहीं था।
महिला की शिकायत के आधार पर मामले को सिविल लाइन थाना पुलिस ने फूल सिंह खेड़ी के ख़िलाफ़ विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज कर लिया है। इसके बाद मामले की जाँच की जा रही है।
रविंद्र की नियुक्ति साल 2017 में 5 कुमाऊँ रेजीमेंट में हुई थी। उसकी पोस्टिंग 2018 में अमृतसर में हुई। इस दौरान वह विदेशी महिला के संपर्क में आया। नारनौल पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि यादव महिला से फेसबुक पर चैट करने लगा और कुछ दिन बाद उसने महिला को बताया कि वह सेना में काम करता है। इसके बाद दोनों के बीच वीडियो कॉल पर बात होने लगी।
यह मामला पहला नहीं है और न ही आखिरी, जिस तरह से मुस्लिम महिलाओं को लगातार तीन तलाक़ और हलाला के नाम पर शोषण और मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। वह बहुत ज़्यादा भयावह है। तीन तलाक़ बिल प्रक्रिया में है। जल्द ही ऐसे शख्त कानून को अमल में लाने की ज़रूरत है ताकि तमाम पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिल सके।
सुबह जिम से निकलते समय विकास चौधरी को अज्ञात बदमाशों ने 10 गोलियाँ मारीं। ये घटना सेक्टर-9 स्थित पीएचसी जिम के बाहर हुई, जहाँ विकास प्रतिदिन एक्सरसाइज करने के लिए आते थे।
बहुत सारे पद ऐसे थे, जो कानूनी अडचनों के कारण कई दिनों से रिक्त थे। हरियाणा में आरक्षण को लेकर तरह-तरह के मामले अदालतों में लंबित हैं। रिक्त पदों में कई सारे विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और हाई कोर्ट में हैं।
"अगर मेरे को ख़त्म करना है, तो मुझे गोली मार दो।" हरियाणा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की इस बात के बाद बैठक में आज़ाद ने भी कहा कि पार्टी के भीतर कुछ बड़े होने वाले हैं, लेकिन उनकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कॉन्ग्रेस नेता पूरी मीटिंग में आपस में लड़ते रहे।
भाजपा जिला उपाध्यक्ष को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनका आरोप है कि कॉन्ग्रेस नेता वोटरों को मतदान केंद्र पर बरगला कर वोट डलवा रहे थे, जब उन्होंने रोका तो उनके साथ मारपीट की गई। उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्षद नरेश शर्मा पर हमला करने का आरोप लगाया।
उम्र के जिस मोड़ पर आकर लोग घर-परिवार के साथ खुद के जीवन की स्मृतियों को भी भुलाने लगते हैं उस उम्र में इन बुजुर्गों में मतदान को लेकर जोश और सजगता आज भी बरकरार है।