कोर्ट के इस आदेश पर पाकिस्तानन के एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि कोर्ट ने कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया है। यह कोर्ट ने नहीं किया है। पाक सेना चाहती है और हम सब जानते हैं कि न्याय व्यवस्था कितनी स्वतंत्र है।
अपने बयान में बलूच नेता ने बताया कि पाकिस्तानी फौज के सिपाहियों ने एक महीने के अंतराल में मरदान की एक महिला और ग्वादर की एक महिला के साथ दुष्कर्म किया है।
बलूच नेता ने कहा कि पाकिस्तान ने ख़ुद को दुनियाभर के इस्लाम के समर्थकों के मानवाधिकार का रक्षक होने का तमगा दिया हुआ है। उन्होंने कहा, "चीन में लाखों उइगरों पर अत्याचार हो रहा लेकिन पाकिस्तान चुप है क्योंकि बलूचिस्तान में चीन भी उसका 'पार्टनर इन क्राइम' है।"
अगर एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के लिए श्रीलंका की सरकार और लिट्टे समान हैं, इस्लामी देशों में महिलाओं को दोयम दर्जे के अधिकारों का मिलना सही लगता है, नेटिव अमेरिकन महिलाओं का रेप स्वैच्छिक सेक्स लगता है, भारत में जिहादी आतंकियों का पलड़ा भारी है, तो समस्या बहुत बड़ी है।
गुलालाई इस्माइल के पिता प्रोफेसर मोहम्मद इस्माइल ने 4 जून को एक ट्वीट करते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों के हाथों उनके परिवार का उत्पीड़न हो रहा था।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के खिलाफ जबर्दस्त आक्रोश है। पुलिस ने छोटेलाल, जीतू और अशोक सहित 5-6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। 26 अप्रैल की घटना को चार दिनों बाद 30 अप्रैल को पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। पुलिस ने IPC और SC/ST ऐक्ट की धाराओं 147, 149, 323, 341, 354B, 376(D) & 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
इससे पहले, साल 2010 में नसरीन को दुष्प्रचार करने और देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप में जेल भेजा गया था। हालाँकि, नसरीन ने इन आरोपों से इनकार किया था। 6 साल की सजा काटने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था।
सुरक्षाबलों के मानवाधिकार संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को नोटिस जारी किया गया।