पुलिस का कहना है कि ये लोग हिंसा में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे और आम जनता से इनकी जानकारी साझा करने के लिए कहा है। पुलिस ने संभावित आरोपितों के बारे में किसी भी तरह की जानकारी के लिए इनाम भी रखा है।
जोया अख्तर के प्रोडक्शन हाउस टाइगर बेबी फिल्म के इंस्टाग्राम पर आयशा का एक पोस्टर अपलोड किया गया। इसमें उसे टायगरेस आयशा रेना (शेरनी आयशा रेना) बताया गया। इस पोस्टर के कैप्शन में आयशा को निर्भीक, दृढ़ निश्चयी, अजेय बताया गया।
"शरजील के ख़िलाफ़ असम और उत्तर प्रदेश की पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, वो निंदाजनक है। शरजील सिर्फ़ नागरिकता संशोधन कानून का मौख़िक आलोचक है और AMU में जो उसने असम के बारे में बयान दिया, उसे संघ के लोग और भाजपा प्रवक्ता गलत तरह से पेश कर रहे हैं।"
"पिछले 5 वर्षों में मुस्लिमों व ईसाईयों के मन में डर का भाव बढ़ता ही जा रहा है। तीन तलाक़ हटाना अच्छा हो या बुरा, मुस्लिमों को लगा कि इसके द्वारा उनके समाज में हस्तक्षेप किया जा रहा है। सीएए के विरोध में आज मुस्लिम 'वन्दे मातरम' गा रहे हैं।"
यह उस आज़ादी की माँग है। जिसकी एक झलक पिछले दिनों जामिया और जेएनयू में प्रदर्शनकारियों के हाथों में पकड़े पोस्टरों में दिखाई दी थी। इस आज़ादी की माँग को उन शिक्षकों ने दोहराया है, जिनके ऊपर विश्वविद्यालय के छात्रों को उज्ज्वल भविष्य की राह दिखाने की ज़िम्मेदारी है।
"यह विरोध जोखिम भरा हो सकता है और बच्चों को खतरों का भी सामना करना पड़ सकता है। निश्चित रूप से यह गंभीर रूप से चिंता का विषय है कि जो अपराध बच्चों ने किया ही नहीं उसके लिए उन्हें दंडित भी किया जा सकता है।"
हाल ही में मुंबई में हुए एक विरोध प्रदर्शन में एक लड़की द्वारा "फ्री कश्मीर" का पोस्टर लहराने पर उसके ख़िलाफ में केस दर्ज किया गया था। हालाँकि, बाद में जेएनयू छात्रों ने सफाई देते हुए कहा कि वो कश्मीर में फ्री इंटरनेट को लेकर लिखा गया था, लेकिन अब आइशी घोष खुद इसे लेकर खुलकर सामने आ गई हैं।
आम आदमी पार्टी के छात्र विंग के नेता कासिम उस्मानी ने स्थानीय लोगों को भड़काया। जामिया के छात्र ने ऑपइंडिया को दिए इंटरव्यू में किए कई बड़े खुलासे। उपद्रवी मुस्लिम छात्रों ने कुलपति के दफ्तर के ऊपर ही फिलिस्तीन का झंडा लगा दिया और इजरायल का झंडा जला डाला।
"आप मुझसे तारीख मत पूछिए, मैंने आपसे कह दिया तो ये होकर रहेगा। हम कोशिश ही कर सकते हैं और कोशिश ही कर रहे हैं। आप लोग थोड़ा टाइम दीजिए। आप लोग परीक्षाओं को FIR से नहीं जोड़ सकते हैं। हम कोर्ट जाएँगे और कोर्ट की तारीखें हम तय नहीं कर सकते हैं। आप लोगों की ही माँग पर यूनिवर्सिटी को खोला गया।"
जब एक पत्रकार ने अरुंधति से पूछा कि क्या विरोध-प्रदर्शन के कुछ परिणाम निकलेंगे तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। उम्मीद जताई कि 'सभी लोग आज़ाद हो जाएँगे।' कहा कि विरोध कर रहे लोग कभी भी पीछे नहीं हटेंगे।