चोटी पर तिरंगा लहराने के बाद विक्रम बत्रा ने कहा था, “यह दिल माँगे मोर” और उसी वक़्त से यह हिंदुस्तानी फ़ौज का मंत्र बन गया। बत्रा के जज़्बे को देखते हुए यूनिट ने उनको नया नाम दिया ‘शेरशाह’ यानी ‘शेरशाह ऑफ़ कारगिल’।
ब्रिज मोहन सिंह ने गंभीर रूप से घायल होकर वीरगति को प्राप्त होने के पहले पाँच पाकिस्तानियों को मौत की नींद सुला दिया, जिसमें से दो को तो उन्होंने केवल अपने खंजर (कमाण्डो नाइफ़) से मारा। अपनी जान और सुरक्षा की परवाह किए बिना दिलेरी और शौर्य की मिसाल खड़ी करने वाले ब्रिज मोहन सिंह को वीर चक्र से नवाज़ा गया।
सौरभ कालिया और अन्य भारतीय सैनिकों पर किए गए बर्बर अत्याचार को पाकिस्तान के सैनिकों ने कई बार स्वीकार किया है। हालाँकि, धूर्त पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से कभी यह स्वीकार नहीं किया कि कारगिल युद्ध में उसके सैनिक शामिल थे।
20 जून 1999 की सुबह 3:30 बजे विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने प्वाइंट 5410 पर फिर से तिरंगा लहरा दिया। इस जीत के बाद विक्रम बत्रा ने कहा था, “यह दिल माँगे मोर।” विक्रम के जज़्बे को देखते हुए यूनिट ने उनको नया नाम दिया ‘शेरशाह’ यानी ‘शेरशाह ऑफ़ कारगिल’।