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‘तिरंगा फहरा कर आऊँगा या तिरंगे में लिपट कर आऊँगा’: कारगिल का ‘शेरशाह’, पर्दे पर छाने को तैयार
कारगिल विजय दिवस के मौके पर 'विक्रम बत्रा' ट्रेंड कर रहे हैं। यूजर्स उन कोट को शेयर कर रहे हैं जिन्हें युद्ध के दौरान 'शेरशाह' दोहराते थे।
कारगिल के 22 साल: 16 की उम्र में सेना में हुए शामिल, 20 की उम्र में देश पर मर मिटे
सुनील जंग ने छलनी सीने के बावजूद युद्धभूमि में अपने हाथ से बंदूक नहीं गिरने दी और लगातार दुश्मनों पर वार करते रहे।
कारगिल के 22 साल: ‘फर्ज पूरा होने से पहले मौत आई तो प्रण लेता हूँ मैं मौत को मार डालूँगा’
भारतीय सैनिकों के ऊपर 60-70 मशीनगन लगातार फायरिंग कर रही थी। गोले बरस रहे थे। फिर भी कैप्टन मनोज पांडे टुकड़ी के साथ आगे बढ़ रहे थे।
इजरायल दूतावास ब्लास्ट: दिल्ली पुलिस ने कारगिल के 4 युवकों को किया गिरफ्तार, स्पेशल सेल कर रही पूछताछ
कारगिल से गिरफ्तार युवकों की उम्र 21 से 25 साल के बीच है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के बाद एनआईए भी इनसे पूछताछ कर सकती है।
जब सीमा पार किए बिना ही भारतीय वायुसेना ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए: कहानी अनूठे ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ की
कारगिल की विषम परिस्थितियाँ, सीमित संसाधनों के प्रयोग का दबाव, सीमा पार न करने का आदेश और छोटे लक्ष्यों को भेदने की चुनौती - भारतीय वायुसेना के शौर्य की एक अनूठी गाथा।
करगिल की लड़ाई में मरने-मारने के लिए छोड़ दिया था 1 करोड़ 20 लाख रुपए का ऑफर: शोएब अख्तर
“मैं लाहौर के बाहरी इलाके में खड़ा था। मुझे देख कर एक जनरल ने पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ? मैंने कहा लड़ाई शुरू होने वाली है, हम साथ मरेंगे।"
मॉं ने आज भी वैसा ही रखा है ‘लव’ का कमरा, तस्वीर को सलामी दे ही घर से निकलता है जुड़वा भाई
चोटी पर तिरंगा लहराने के बाद विक्रम बत्रा ने कहा था, “यह दिल माँगे मोर” और उसी वक़्त से यह हिंदुस्तानी फ़ौज का मंत्र बन गया। बत्रा के जज़्बे को देखते हुए यूनिट ने उनको नया नाम दिया ‘शेरशाह’ यानी ‘शेरशाह ऑफ़ कारगिल’।
1984 से चल रही थी कारगिल की तैयारी, हवा में मुशर्रफ़ को बर्खास्त कर कुर्सी गँवा बैठे नवाज़ शरीफ़
अंत में चेते नवाज़ शरीफ ने मूर्खतापूर्ण कदम उठाते हुए मुशर्रफ़ को उस समय बर्खास्त कर दिया जब मुशर्रफ़ श्री लंका दौरे लौटते हुए एक हवाई जहाज में थे।
कारगिल के 20 साल: गाथा चार वीरों की, जो हमें बार-बार सुननी चाहिए
ब्रिज मोहन सिंह ने गंभीर रूप से घायल होकर वीरगति को प्राप्त होने के पहले पाँच पाकिस्तानियों को मौत की नींद सुला दिया, जिसमें से दो को तो उन्होंने केवल अपने खंजर (कमाण्डो नाइफ़) से मारा। अपनी जान और सुरक्षा की परवाह किए बिना दिलेरी और शौर्य की मिसाल खड़ी करने वाले ब्रिज मोहन सिंह को वीर चक्र से नवाज़ा गया।
कारगिल: कहानी उन हीरोज की जिनके आगे पस्त हो गया पाकिस्तान का ‘डर्टी-4’
सौरभ कालिया और अन्य भारतीय सैनिकों पर किए गए बर्बर अत्याचार को पाकिस्तान के सैनिकों ने कई बार स्वीकार किया है। हालाँकि, धूर्त पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से कभी यह स्वीकार नहीं किया कि कारगिल युद्ध में उसके सैनिक शामिल थे।