पश्चिम बंगाल अब चौथा राज्य बन गया है, जहाँ CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास हो चुका है। इससे पहले केरल, पंजाब और राजस्थान विधानसभा में सीएए विरोधी प्रस्ताव पास किया जा चुका है।
"मैं तो इस तस्वीर में उमर अब्दुल्ला को पहचान ही नहीं पा रही हूँ। मुझे काफ़ी दुख महसूस हो रहा है। मैं उदास हूँ। ये काफ़ी दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतांत्रिक राष्ट्र में ऐसा हो रहा है। ये सब आख़िर कब थमेगा?"
“50 लाख से ज्यादा मुस्लिम घुसपैठियों की पहचान की जाएगी, जरूरत हुई तो उन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा। उसके बाद ममता बनर्जी किसी का तुष्टीकरण नहीं कर पाएँगी। आने वाले चुनाव में उन्हें 50 सीटें भी नहीं मिलेंगी।”
जहाँ एक तरफ़ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पदयात्रा कर के लगातार इस क़ानून के विरोध में रैलियाँ कर रही हैं, सीएए के समर्थकों को रोकने के लिए कई इलाक़ों कर्फ्यू लगा दिया जा रहा है। रैली में शामिल होने वाले लोगों पर मुक़दमा भी दर्ज किया जा रहा है।
“भारत में दो करोड़ मुस्लिम घुसपैठिए हैं। अकेले पश्चिम बंगाल में एक करोड़ घुसपैठिए हैं। तुम यहाँ आते हो, हमारा खाना खाते हो, यहाँ रहते हो और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाते हो। क्या यह तुम्हारी जमींदारी है? हम तुम्हें लाठियों से मारेंगे, गोली मारेंगे और तुम्हें जेल में डाल देंगे।”
लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष का जमावड़ा लगाने वाली ममता अब उनसे कन्नी काटने लगी है। बंगाल में कॉन्ग्रेस ने विधायक दल का नेता अब्दुल मन्नान को बनाया जाना भी उन्हें रास नहीं आया। मन्नान राज्य के प्रमुख मुस्लिम नेता है। इसके अलावा ओवैसी की गतिविधियों से भी उनकी चिंता बढ़ी हुई है।
TMC द्वारा पोस्टर लगाए गए थे जिसमें दावा किया गया था कि CAA और NRC को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी CAA और NRC के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए कम से कम चार मौकों पर सड़क पर उतरीं।
राज्यपाल धनखड़ जादवपुर यूनिवर्सिटी में चांसलर के तौर पर बैठक में हिस्सा लेने गए थे लेकिन छात्रों ने इसका बहिष्कार किया। छात्रों ने अचानक राज्यपाल की कार घेर ली और नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान राज्यपाल तकरीबन 45 मिनट अपनी कार में ही बंद रहे। बाद में सुरक्षा गार्ड उन्हें निकाल कर बाहर ले गए।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी से CAA और NRC के खिलाफ लगाए गए सभी विज्ञापनों को हटाने का आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 9 जनवरी 2020 को होगी।
''अगर जरूरत पड़ी तो हम लोग उन्हें (शाह को) शहर के हवाई अड्डे के बाहर कदम नहीं रखने देंगे। उन्हें रोकने के लिए हम लोग एक लाख लोगों को वहाँ जमा कर सकते हैं।"