Monday, May 6, 2024

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Media Hypocrisy

Exit Polls से नाराज़ मणिशंकर समर्थक पत्रकार इरीना अकबर ने देश की जनता को सुनाई खरी-खोटी

कुछ दिनों पहले इरीना अकबर ने पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, गायकों, अभिनेताओं और क्रिकेटरों पर निशाना साधते हुए कहा था कि इन लोगों ने वर्षों अपने क्षेत्र में काम कर के जो इज्जत कमाई, उन्होंने पिछले पाँच वर्षों में एक 'हत्यारे' का समर्थन करते हुए ये इज्जत गँवा दी।

20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी को 35+ सीटें: ‘क्रन्तिकारी’ पत्रकार का क्रन्तिकारी Exit Poll

ऐसी पार्टी, जो सिर्फ़ 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, उसे वाजपेयी ने 35 सीटें दे दी है। ऐसा कैसे संभव है? क्या डीएमके द्वारा जीती गई एक सीट को दो या डेढ़ गिना जाएगा? 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी 35 सीटें कैसे जीत सकती है?

2019 नहीं, अब 2024 में ‘पकेंगे’ राहुल गाँधी: BBC ने अपने ‘लाडले’ की प्रोफाइल में किया बदलाव

इससे भी ज्यादा बीबीसी ने प्रियंका की तारीफ़ों के पुल बांधे हैं। प्रियंका ने आज तक अपनी लोकप्रियता साबित नहीं की है, एक भी चुनाव नहीं जीता है, अपनी देखरेख में पार्टी को भी एक भी चुनाव नहीं जितवाया है, फिर भी बीबीसी उन्हें चमत्कारिक और लोकप्रिय बताता है।

मोदी जीत गए तो क्या हुआ, उसके पंख कतर दिए जाएँगे: कॉन्ग्रेस ने स्वीकारी ‘Moral Victory’

नेशनल हेराल्ड ने मोदी की जीत को 'Pyrrhic Victory' कहा है। इसका अर्थ हुआ कि ऐसी जीत, जो हार के बराबर हो (सम्राट अशोक के कलिंग विजय की तुलना इससे कर सकते हैं, इसका अर्थ हुआ कि ऐसी जीत जिसमें विजेता को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा हो)। नेशनल हेराल्ड को उम्मीद है कि...

‘लाडले’ को बचाने के लिए ठीकरा कहाँ-कहाँ फोड़ा जाएगा? Exit Polls के बाद गिरोह तैयार

तैयार रहिए। एग्जिट पोल्स सही साबित हुए तो भाजपा की जीत के लिए तमाम ऐसे अजीबोगरीब कारण गिनाए जाएँगे, जिससे राहुल की इमेज पर आँच न आए और पीएम की लोकप्रियता की बात न हो। ठीकरा कहीं और फोड़ा जाएगा, ईवीएम को गालियाँ पड़ेंगी।

साला ये दुःख काहे खतम नहीं होता है बे!

जो लोग रवीश की पिछले पाँच साल की पत्रकारिता टीवी और सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, वो भी यह बात आसानी से मान लेंगे कि रवीश जी को पत्रकारिता के कॉलेजों को सिलेबस में केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए।

Exit Poll के रुझान देखकर मीडिया गिरोह ने जताई 5 साल के लिए गुफा में तपस्या करने की प्रबल इच्छा

अगले 5 साल गुफा में बिताने की चॉइस रखने वालों की अर्जी में एक नाम बेहद चौंकाने वाला था। यह नाम एक मशहूर व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के कुलपति का था। अपने विवरण में इस कुलपति ने स्पष्ट किया है कि पिछले 5 साल वो दर्शकों से TV ना देखने की अपील करते करते थक चुके हैं और अब अगले 5 साल भी वही काम दोबारा नहीं कर पाएँगे।

लंगोट पहन पेड़ से उलटा लटक पत्तियाँ क्यों नहीं चबा रहे PM मोदी? मीडिया गिरोह के ‘मन की बात’

पद की भी कुछ मर्यादाएँ होती हैं और कुछ चीजें व्यक्तिगत सोच पर निर्भर करती है, यही तो हिन्दू धर्म की विशेषता है। वरना, कल होकर यह भी पूछा जा सकता है कि जब तक मोदी ख़ुद को बेल्ट से पीटते हुए नहीं घूमेंगे, उनका आध्यात्मिक दौरा अधूरा रहेगा।

‘द क्विंट’ के राघव बहल को पान की दुकान पर कैसेट रिकॉर्डिंग का धंधा ज़्यादा सूट करता है

राघव बहल लाख राहुल को पूर्ण राजनेता मान लें, लेकिन राहुल गाँधी का दुर्भाग्य यह है कि वो भरी बारिश में काली माता के मंदिर में दिया जलाने जाते नहीं, और सिर्फ चुनावों के समय ही जनऊ पहनते हैं, राम भक्त और शिव भक्त बनते हैं। साथ ही, उनको एक्सिडेंटली भी, सर पर चोट लगने से ही सही, ज्ञान मिलने की संभावना दिखती नहीं क्योंकि उसके लिए भी पूर्व में अर्जित ज्ञान के लोप होने की बात ज़रूरी है।

एडिटर्स गिल्ड की चुप्पी: लाख गाली खा लें, लेकिन चाटेंगे उन्हीं के… तलवे

चाहे बात रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों पर हमले की हो, या मणिशंकर 'नीच' अय्यर जैसे व्यक्ति द्वारा पत्रकार को 'फ़क ऑफ़' कहने की, गुप्ता जी के लड़के के एडिटर्स गिल्ड को साँप सूँघ जाता है। इसलिए कि ‘दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है।’

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