CAA के विरोध-प्रदर्शन के दौरान इस तरह के पोस्टर्स को देखकर हँसी आती है। ऐसे प्रदर्शनकारियों के बारे में यही कहा जा सकता है कि उन्हें CAA के बारे में पहले पढ़ लेना चाहिए, ताकि उन्हें सच्चाई का पता चल सके। अगर उन्होंने CAA से जुड़ी जानकारी को पढ़ा होता तो वे इस तरह के बचकाने सवाल ही न पूछते।
जब एक पत्रकार ने अरुंधति से पूछा कि क्या विरोध-प्रदर्शन के कुछ परिणाम निकलेंगे तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। उम्मीद जताई कि 'सभी लोग आज़ाद हो जाएँगे।' कहा कि विरोध कर रहे लोग कभी भी पीछे नहीं हटेंगे।
जब तक जनता ने चिदंबरम की पार्टी की योजनाओं और झूठे वादों को बिना कोई सवाल किए, बिना कोई जाँच-पड़ताल किए आँख मूँदकर माना, तो समझदार... लेकिन जैसे ही जनता ने सच्चाई को देख-समझकर, देश हित को जान कर फैसला लेना शुरू किया वो बेवकूफ! तिहाड़ी से आने के बाद शायद...
जनगणना पारंपरिक पेन और पेपर के बजाए मोबाइल फोन एप्लीकेशन के जरिए होगी। अधिसूचना में साफ शब्दों में कहा गया है कि मोबाइल नंबर सिर्फ जनगणना के मकसद से ही पूछा जाएगा। इसके अलावा परिवार के मुखिया का नाम, शौचालय का इस्तेमाल करते हैं या नहीं, पीने के पानी के स्नोत जैसे सवाल पूछे जाएँगे।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में तीन अधिकारियों का डेस्क बनाया गया है जो अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संबंधित सभी मामलों को देखेगी। पिछले महीने ही अमित शाह ने कहा था कि अयोध्या में चार महीने के भीतर भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा होगा।
नए साल पर इसरो चीफ के. सिवन ने लक्ष्य और योजनाओं का खाका पेश किया। साथ ही बताया कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बहुत अच्छा काम कर रहा है। यह अभी अगले 7 साल तक काम करता रहेगा।
"मैं CAA और NRC के समर्थन में निकाली गई रैली में शामिल नहीं हो सका, क्योंकि मैं मीटिंग में बिज़ी था। मैं इसके लिए दु:ख व्यक्त करता हूँ। शिवसेना हमेशा से हिन्दुत्ववादी विचारधारा वाली पार्टी रही है। मैं इन दोनों मुद्दों का पुरज़ोर समर्थन करता हूँ, इसलिए मैं इस बारे में पत्र लिख रहा हूँ।"
एनपीआर को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से विपक्ष उसी तरह अफवाह फैलाने में जुट गया है जैसा उसने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर किया। जिस तरीके से CAA को NRC से जोड़ा गया, उसी तरह अब NPR को भी NRC से जोड़कर दिखाने की कोशिश हो रही है। जबकि हकीकत कुछ और ही है।
सेवाओं के एकीकरण से यह ‘नौकरशाही’ खत्म हो जाएगी। इससे रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सुधार कई दशक से लंबित थे, जिन्हें मोदी सरकार ने पूरा किया है।
एनपीआर का मकसद देश में रहने वाले लोगों की पहचान का एक डाटाबेस तैयार करना है। एनपीआर के लिए 2010 में पहली बार डाटा जमा किया गया था, जब यूपीए-2 सरकार थी। असम को छोड़ कर पूरे देश में यह प्रक्रिया होगी।