2019 के शुरुआती महीने में निर्वासन के डर से क़रीब 1300 रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में पलायन किया है, जिसकी वजह से नई दिल्ली को और केंद्रीय सरकार को काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्याओं को अवैध अप्रवासी बताते हुए उन्हें देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया था। सरकार का तर्क था कि रोहिंग्या लोगों को रहने की अनुमति देने से हमारे अपने नागरिकों के हित काफी प्रभावित होंगे और देश में तनाव भी पैदा होगा।
भारतीय महासागर को घेरने की चीन की तथाकथित 'स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स' रणनीति का एक मोती सित्वे पोर्ट भी था। इंस्टिट्यूट फॉर डिफेन्स स्टडीज़ एंड एनालिसिस में प्रकाशित नम्रता गोस्वामी की रिपोर्ट के अनुसार अंडमान सागर में चीन सिगनल इंटेलिजेंस एकत्र करने के उपकरण लगा रहा था जिससे भारत की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके।