महाराष्ट्र में अब तक राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (NCP), कॉन्ग्रेस और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर कोशिशें की जा रही थी। इसके लिए 22 नवंबर को तीनों पार्टियों के बीच दो घंटे तक बैठक भी हुई। इस बैठक में उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी थी लेकिन...
“हम किसानों की समस्या को हल करने के लिए साथ आए हैं। नतीजे आने के दिन से लेकर आज तक कोई भी पार्टी सरकार बनाने में सक्षम नहीं थी, महाराष्ट्र किसान मुद्दे सहित कई समस्याओं का सामना कर रहा था, इसलिए हमने एक स्थिर सरकार बनाने का फैसला किया।”
एक वरिष्ठ नेता ने दलों के बँटवारे के बारे में बात करते हुए बताया कि शिवसेना और एनसीपी को लगभग बराबर की हिस्सेदारी सत्ता में मिलेगी, लेकिन कॉन्ग्रेस को कुछ कम में संतोष करना पड़ेगा। वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि एनसीपी अभी भी...
इससे पहले संभाजी ब्रिगेड ने भी ट्रेलर में दिखाए गए कुछ सीन्स पर डायरेक्टर से स्पष्टीकरण माँगा हैं। ब्रिगेड ने अपने पत्र में कहा है कि फिल्म में भगवा झंडे पर ओम का चिह्न दिखाकर जानबूझकर शिवाजी की धर्मनिरपेक्ष छवि को खत्म करने की कोशिश की गई है।
"शिवसेना ने हिंदुत्व की रक्षा के नाम पर वोट माँगा था। इसके उलट नतीजे आने के बाद शिवसेना अपने खिलाफ चुनाव लड़ने वाली पार्टियों के साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही है जबकि उसने भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनाने के नाम पर वोट माँगा था।"
कॉन्ग्रेस शिवसेना की कट्टर हिन्दुत्व की छवि से संशय में है और वो चाहती है कि इस सन्दर्भ में CMP में एक स्पष्ट संदेश शामिल किया जा सके, जिससे नई सरकार के गठन में किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
राज्यपाल के साथ होने वाली बैठक में शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस नेताओं का तीन-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राज्य को एक मजबूत प्रशासन प्रदान करने के तरीकों पर चर्चा करने वाला था, जिसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
कॉन्ग्रेस ने समर्थन देने के लिए शिवसेना के सामने कट्टर हिंदुत्व वाली छवि को बदलने की शर्त रखी है। इस छवि के बदलने पर ही कॉन्ग्रेस महाराष्ट्र में शिवसेना का समर्थन करने के बारे में सोचेगी। सोनिया गाँधी शरद पवार के बीच बैठक में...
"शरदराव पवार समझ जाते हैं कि हवा का रुख किस तरफ है। शरदराव एक चतुर राजनेता हैं, जिन्होंने बदली परिस्थितियों को भाँप लिया है। वह कभी भी ऐसी किसी चीज में शामिल नहीं होते, जो उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुँचाए।"