जब अजित पवार ने भाजपा की सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब एनडीटीवी ने उन्हें 'भ्रष्टाचारी और दागी नेता' बताया था। वहीं जब उन्होंने ठाकरे सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब एनडीटीवी ने 'भ्रष्टाचारी' और 'दागी' जैसे शब्दों को हटा दिया।
NDTV ने ट्वीट के पूरे अर्थ को ही अपने मन-मुताबिक बदल दिया। जहाँ All the rioters are shocked (to see police action) होना चाहिए, वहाँ लिखा - 'SHOCKED EVERY PROTESTER' जिसका मतलब है कि ‘हर प्रदर्शनकारी को (पुलिस ने/सरकार ने) हैरान कर दिया।
"इस रजिस्टर में आपका नाम ज़रूर होना चाहिए, क्योंकि ये आपके बहुत काम आएगा। एनपीआर के बहुत सारे फायदे हैं। इसके जरिए ही 'यूनिक आइडेंटिटी कार्ड' मिलेगा। ये पहचान पत्र सरकारी योजनाओं में ख़ास कर के काम आएगा।"
रवीश बार-बार यह बात भूल जाते हैं कि लोकतंत्र में एक आम आदमी के वोट की कीमत वही होती है जो उनके जैसे परम ज्ञानियों के वोट की है। शायद यही अभिजात्यता और घमंड उन्हें हर मतदान के बाद यह कहने पर मजबूर कर देता है (भाजपा की जीत की स्थिति में) कि युवाओं को रोजगार से मतलब नहीं।
ट्विटर पर NDTV 'तांत्रिक' लिखकर इसे बेचता है ताकि कोई पढ़े तो लगे कि अपराधी हिन्दू होगा। ऐसा NDTV ने पहली बार नहीं किया है ऐसे हरकतें लगातार करता रहा है। अपने दर्शकों को झूठे और ट्विस्टेड सूचनाओं से बरगला कर एक मजहब को बचाने और हिन्दुओं और इसके प्रतीकों को बदनाम कर, वामपंथी और देश विरोधी विचारधारा से पोषित ऐसे न्यूज़ चैनल जो समाज में केवल समुदाय चहेता बनने के लिए हिन्दुओं को हर संभव बदनाम करने का खेल खुलेआम खेलते रहे हैं।
NDTV के सम्पादक श्रीनिवासन जैन नागरिकता विधेयक को लेकर अपने ट्वीट के चंद शब्दों 'excludes a specific minority community' में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने, उन्हें नाहक ग्लानि का अनुभव कराने और कथित अल्पसंख्यकों को बिना किसी ठोस आधार के बेचारा दिखाने का जो प्रपंच रचा है, उसे...
'द न्यूजरूम' जैसे अमेरिकी टीवी शो में NDTV के नाम का मजाक उड़ाया जाना एक ऐसा कारनामा था, जिसने लोगों का काफी ध्यान खींचा, NDTV का भी। इसके बाद NDTV का वापस से प्रतिष्ठा हासिल करना असंभव सा लगता है।
बरखा दत्त ने एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि मुंबई हमले के दौरान टीवी चैनलों और उनके पत्रकारों ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की उससे सैकड़ों लोगों की जान ख़तरे में आ गई थी। यहॉं तक कि सुरक्षा बलों के जवानों की जान भी ख़तरे में पड़ गई थी।
सीटीडी एडवाइज़र्स नामक इस संस्था का गठन पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश बैंकर शोएब बाजवा ने पिछले साल किया था। जेकेएलएफ जैसा आतंकी संगठन संस्था के कार्यक्रम की प्रशंसा कर चुका है।
एनडीटीवी का वित्तीय परफॉरमेंस लगातार गिर रहा है और ये निवेशकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाइयों के कारण कम्पनी की साख पहले से ही गिरी हुई है। अब ऑडिटर्स रिव्यू में नए खुलासे हुए हैं।