अजित पवार को लेकर एनडीटीवी काफ़ी दुविधा में दिख रहा है। दरअसल, उनका इतिहास ही ऐसा है कि एनडीटीवी एकमत पर पहुँच नहीं पा रहा क्योंकि उसकी हैडलाइन इस आधार पर बनाई जाती है कि वो भाजपा के साथ हैं, या फिर भाजपा के विरुद्ध। पहले वो कॉन्ग्रेस की सरकार में उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को समर्थन देकर उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। हालाँकि, फडणवीस ने बहुमत न होने के कारण इस्तीफा दे दिया था। अब एनसीपी ने शिवसेना को समर्थन दिया है, जिसमें अजित पवार फिर से उप-मुख्यमंत्री बने हैं।
जब अजित पवार ने भाजपा की सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब एनडीटीवी ने उन्हें ‘भ्रष्टाचारी और दागी नेता’ बताया था। वहीं सोमवार (दिसंबर 30, 2019) को जब अजित पवार ने ठाकरे सरकार में उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब एनडीटीवी ने ‘भ्रष्टाचारी’ और ‘दागी’ जैसे शब्दों को हटा दिया। अब वो सीधा ‘एनसीपी नेता अजित पवार’ हो गए हैं। अर्थात, एनडीटीवी अजित पवार को लेकर Odd-Even मोड में चल रहा है। जब वो भाजपा के साथ रहें तो ‘भ्रस्टाचारी एनसीपी नेता’ और जब भाजपा के विरुद्ध रहें तो सीधा ‘एनसीपी नेता’।
So Ajit Pawar is no more scam-tainted. Magsaysay for hypocrisy goes out to NDTV. ??? pic.twitter.com/qfrkwmZAGw
— Sir Jadeja fan (@SirJadeja) December 30, 2019
जब अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री बनने की सम्भावना जताई जा रही थी, तब एनडीटीवी ने लगातार उन्हें ‘एनसीपी के अजित पवार’ लिख कर सम्बोधित किया। भाजपा के साथ जाने पर उनके लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया गया था, वैसे किसी भी शब्द से बचा गया। इससे पहले एनडीटीवी ने अजित पवार को लेकर फेक न्यूज़ भी चलाई थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें इरीगेशन स्कैम से जुड़े सभी मामलों में क्लीन चिट दे दी गई है। जबकि सच्चाई ये थी कि जिन मामलों को बंद किया गया था, उनमें से कोई भी अजित पवार से जुड़ा नहीं था।
आज उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ, जिसमें उद्धव ठाकरे को उप-मुख़्यमंत्री बनाया गया। उद्धव के बेटे और युवा सेना के सुप्रीमो आदित्य ठाकरे को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई। कॉन्ग्रेस की तरफ से अमित देशमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण मंत्री बने। पिछली कॉन्ग्रेस सरकार में भी मंत्री रह चुके अमित दिवंगत कॉन्ग्रेस नेता विलासराव देशमुख के बेटे हैं। उनके भाई रितेश देशमुख फ़िल्मों में सक्रिय हैं।