नमृता चंदानी की मौत के बाद परिवारजनों द्वारा बार-बार गुहार लगाने के बाद भी उसके गले में बंधे दुपट्टे को मौत के एक हफ्ते बाद फॉरेंसिक लैब भेजा गया था, जिसकी वजह से डीएनए नहीं लिया जा सका।
भारत के सीमवर्ती इलाकों में रह रहे इन हिन्दुओं को राजस्थान पुलिस पाकिस्तान भेजने की तैयारी में है। एक कट्टर इस्लामिक देश होने के चलते पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचार चरम पर हैं। यह सभी परिवार धार्मिक वीसा के बहाने यहाँ इसी लिए रुके थे क्योंकि पाकिस्तान में हिन्दुओं को सिर्फ यातनाएँ ही मिलती हैं।
अपने अंतर्मन में हर हिन्दू यह बात जानता था कि श्री राम व राम का नाम हिन्दू धर्म की आत्मा है। राम गए तो हिन्दू धर्म नहीं बचेगा। वह आस्था, वह श्रद्धा जो हमारे रक्त और हमारी हड्डियों में समाई हुई है। राम का ‘तत्व’ ही वह शाश्वत धारा है जिसने हिन्दू समाज को विषम-से-विषम परिस्थिति में भी स्पंदित व जीवित रखा है, तथा सदैव रखेगी।
पिछले दिनों जॉंच में नमृता के कपड़ों और शरीर पर किसी पुरुष डीएनए के सैंपल मिलने की बात सामने आई थी। आखिरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी उसकी हत्या किए जाने की बात पर मुहर लगा दी है।
जिन हिंदुओं ने भारत की ओर देखकर जीवन की आस लगाई, भाग कर आए और शरणार्थी बने, आज उन्हीं का भविष्य खतरे में है। एनजीटी ने दिल्ली में यमुना के किनारे बनी झुग्गियों और अर्ध स्थायी संरचनाओं पर कड़ी आपत्ति जताते हुए मामले में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
केजरीवाल सरकार के वकील चाहते थे कि जज इस फैसले को इंसानियत के आधार पर लिया फैसला बताएँ। लेकिन बच्चों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे वकील अशोक अग्रवाल ने कहा, "कौन सी इंसानियत? हम भिखारी नहीं हैं, हम अपने अधिकारों की माँग कर रहे हैं।"
अपने माता-पिता के साथ इसी साल 14 मई को पाकिस्तान से आए तीन बच्चों के भविष्य पर मॅंडरा रहा संकट। दिल्ली के एक सरकारी स्कूल ने 5 जुलाई को उन्हें एडमिशन दिया। 8 जुलाई से क्लास अटेंड करने की इजाजत भी मिली। लेकिन, 14 सितंबर को स्कूल से यह कह कर निकाल दिया गया कि उनकी उम्र ज्यादा है।
नमृता के भाई विशाल ने बताया, "यह आत्महत्या नहीं है। आत्महत्या के निशान अलग होते हैं। मुझे उसकी गर्दन के चारों ओर केबल के निशान मिले। उसके हाथ पर भी निशान थे। उसकी दोस्तों ने बताया था कि उसने नमृता के गले पर दुपट्टा बँधा हुआ देखा था।"
बहन के मृत शरीर को देख नमृता के भाई डॉ विशाल सुंदर ने कहा, "उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर भी निशान हैं, जैसे कोई व्यक्ति उन्हें पकड़ रखा था। हम अल्पसंख्यक हैं, कृपया हमारे लिए खड़े हों।"