बढ़ती जनसंख्या के आर्थिक और राजनीतिक आयाम आज भी वही हैं जो पहले थे। यह समझने की आवश्यकता है कि इससे पैदा होनेवाले प्रश्न और खतरों को और पीछे नहीं फेंक सकते।
ऐसा नहीं है कि नसबंदी पर प्रोत्साहन कोई नई बात है, बल्कि देश भर में केंद्र व राज्य सरकारें अक्सर नसबंदी के लिए प्रोत्साहन का अभियान चलाते रहती है। लेकिन, जो संजय गाँधी ने किया था वो क्रूरता थी।