पत्र में लिखा गया कि ऐसे संवेदनशील समय में जब किसान दिल्ली के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उस समय रवीश कुमार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है, जो किसानों को भ्रमित करता है और समाज में नकारात्मक भावनाओं को उकसाता है।
मोदी समर्थकों की भीड़ से समस्या, आंदौलनकारी किसानों, बुर्कावालियों की भीड़ से प्रेम? भारतीय कोवैक्सिन से दिक्कत, कोवीशील्ड से प्रेम? कैसे कर लेते हैं बकैताधीश?
यही रवीश कुमार साल 2015 में इन किसानों की हालात पर चिंता जताते हुए बता चुके थे कि मंडियों में किसान आढ़ती के चंगुल में फँसा हुआ है, जहाँ उन्हें गुलाम बनाया जा रहा है।