ज्यादातर रिफ्यूजी चाहते हैं कि UNHCR उनका थर्ड कंट्री सैटलमेंट कराए, लेकिन यूरोप के अलावा दुनिया के कई बड़े देशों ने उन्हें अपने यहां शरण देने से इनकार कर दिया है।
क्षमता से ज्यादा भरी हुई लकड़ी की नाव में रोहिंग्या समुदाय के लोग बांग्लादेश के तटवर्ती इलाके कॉक्स बाजार से मलेशिया की ओर जा रहे थे, तभी नाव बंगाल की खाड़ी में डूब गई। तटरक्षक बल, नौसेना के गोताखोरों और अन्य बचाव दल ने अभी तक 14 महिलाओं, एक बच्चे और एक आदमी के शव को बरामद किया।
बीजीबी के महानिदेशक ने बताया है कि 2019 में अवैध रूप से सीमा पार करने पर 1000 लोगों को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया। इनमें 445 नवंबर-दिसंबर में आए। पहचान कराने पर सभी घुसपैठियों के बांग्लादेशी होने की बात सामने आई।
सिंध से आई दमी कोहली जोधपुर के पास एक रिफ्यूजी कैंप में रहती है। सालभर से यहीं पढ़ाई कर रही है। 11वीं की परीक्षा भी यहीं से पास की। बावजूद इसके राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने उसका 12वीं का परीक्षा फॉर्म खारिज कर दिया है।
इसके साथ ही नागरिकता की दादी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम ‘भारत’ रखा था, तभी से उनके मन में था कि एक दिन वो भारत जरूर जाएँगी। उन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘भारती’ रखा और अब अपनी पोती का नाम ‘नागरिकता’ रखा है।
केंद्र ने ₹2,000 करोड़ के एक "वन-टाइम सेटेलमेंट" पैकेज की घोषणा की थी। उसे भी यह शरणार्थी इसलिए नहीं ले पाए क्योंकि उनके पास डोमिसाइल सर्टिफ़िकेट नहीं था। एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1.5 लाख परिवार, यानी 10 लाख शरणार्थी आज भी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं।
"केवल सीमित संख्या में शरणार्थियों को रहने देना चाहिए। यूरोप, यूरोपियों के लिए है और अगर अप्रवासी अपने देशों में वापस नहीं भेजे जाते हैं, तो पूरा यूरोप मुस्लिम देश या फिर अफ्रीकी देश बन सकता है।"
अपने देश में सुन्नी समुदाय से उत्पीड़न का सामना करते हुए, अहमदिया सम्प्रदाय के शरणार्थी पाँच साल पहले पाकिस्तान से भागकर यहाँ आए थे। इन शरणार्थियों को यहाँ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की मदद से बसाया गया है।