बकौल कृष्ण गोपाल, सिंध के अंतिम हिन्दू राजा दाहिर की पत्नियाँ जब जौहर करने जा रही थीं, तब उन्होंने 'म्लेच्छ' शब्द का प्रयोग किया था। रानियों का मानना था कि अगर उन्होंने जल्द से जल्द जौहर कर अपने प्राण नहीं त्यागे तो 'म्लेच्छ' लोग (इस्लामिक आक्रांता) आकर उन्हें छू देंगे।
जब दलितों और मुस्लिमों में झड़प होती है, तो यही दलित हिन्दू हो जाते हैं। जब एएमयू SC-ST को आरक्षण नहीं देता, तब ये चूँ तक नहीं करते। लेकिन, जहाँ बात भारत को असहिष्णु साबित करें की आती है, 'दलितों और मुस्लिमों' पर अत्याचार की बात कर दलितों को हिन्दुओं से अलग दिखाने के प्रयास होते हैं।
दलित समुदाय से आने वाली भूगोल की प्रोफेसर सरस्वती केरकेटा ने आरोप लगाया कि छात्रों व कर्मचारियों के एक वर्ग ने उनकी जातीय पृष्ठभूमि को लेकर अपशब्द कहे थे और क्लास में जानबूझ कर बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी थी।
गाँव में ये बात पता चलने के बाद राजपूत फौरन इसके लिए तैयार हो गए और खुद आगे बढ़कर दूल्हे को घोड़ी उपलब्ध करवाई। साथ ही वो उसके विवाह कार्यक्रम में भी शरीक हुए। इससे दूल्हे के परिजन काफी खुश हो गए।