18 फरवरी को इस संबंध में छात्रों को एक नोटिस जारी कर दिया गया है, जिसके तहत विश्वविद्यालय ने छात्र फसीह अहमद, सहाना प्रदीप और एएस एडिस्फो पर 5-5 हज़ार रुपए का यह जुर्माना लगाया है। इन तीनों छात्रों को 10 दिनों के अंदर यह जुर्माना भरना होगा।
इसी बीच वार्ताकार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आपका यही व्यवहार रहा तो हम कल से यहाँ नहीं आएँगे। इससे पहले एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम पिछले दो महीने से प्रधानमंत्री मोदी का पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। वो शाहीन बाग आएँ और हमसे बात करें।
"वह नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि वह गजवा-ए-हिंद के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गजवा-ए-हिंद को भारत में लाकर मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते हैं। हम उनको इस मकसद में कामयाब नहीं होने देंगे।"
"यहाँ की जमीन हमारी है, हवा हमारी है, पानी हमारा है, तो कैसे कहा जा सकता है कि मुसलमान यहाँ का नहीं है। मैं अच्छे से जानती हूँ कि भारत को आजादी कैसे मिली? RSS तो बिका हुआ था। आज आजादी का फायदा मोदी-शाह उठा रहे हैं।"
एक विडियो सामने आया है इसमें तीस्ता सीतलवाड़ नजर आ रही है। तीस्ता 2002 के दंगा पीड़ितों की मदद के नाम पर पैसे इकट्ठा कर उसका इस्तेमाल खुद की सुविधाओं और खर्चे पर करने की आरोपित है।
दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम कैसे रहे, ये जानने के लिए आपको 18वें से लेकर 23वें राउंड तक की मतगणना पर एक नज़र डालनी होगी। इन 5 राउंड्स में, मुस्लिम ध्रुवीकरण का सबसे बड़ा खेल देखने को मिला। दिल्ली चुनाव AAP ने विकास के बल पर जीता, ये नैरेटिव एकदम गलत साबित होता है।
शाहीन बाग और एएमयू में आयोजित धरने में देशविरोधी भाषण देने बाद चर्चा में आए शरजील इमाम को पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी को गिरफ्तार किया था। दरअसल सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में शरजील ने पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत से अलग करने की बात कही थी।
पिछले वर्ष केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि देवबंद आतंकवाद का अड्डा बन गया है। इतना ही नहीं हाफिज सईद और बगदादी जैसे आतंकवादी भी देवबंद से शिक्षा लेते हैं। उन्होंने आगे कहा था कि गुरुकुल से आजतक कोई बच्चा आतंकी नहीं निकला, लेकिन देवबंद से निकले हुए लोग देशभक्त का तो पता नहीं, लेकिन आतंकी जरूर बनते हैं।
आज मतगणना के दिन शाहीन बाग में सन्नाटा है, जहाँ सुबह से ही प्रदर्शनकारी जुटने लगते थे, वहीं मंगलवार को शाहीन बाग पूरी तरह खाली नज़र आया, दोपहर के समय में मात्र इक्का-दुक्का लोग दिखाई दिए। क्या शाहीन बाग दिल्ली विधान सभा चुनाव स्टंट का एक हिस्सा था? अब जब उन्हें कोई हटा नहीं रहा है तो वे खुद ही शाहीन बाग छोड़ के क्यों चले गए हैं?
सोमवार को मंडी हाउस में प्रदर्शनकारियों द्वारा सीएए के विरोध में मार्च निकालने के आह्वान पर दिल्ली पुलिस ने यह कहते हुए पहले ही बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात कर दिया था कि, यहाँ कोई विरोध-प्रदर्शन या धरना देने का स्थान नहीं है, किसी को धरना देना या विरोध-प्रदर्शन करना है तो वह जंतर-मंतर जाए।