Friday, April 26, 2024
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शाहीनबाग के CAA विरोधी प्रदर्शन में फूट, अलग-अलग बने गुटों में दरार लेकिन अड़ियल रवैया बरक़रार

शाहीन बाग में एक से अधिक गुट बनते नजर आ रहे हैं और उस गुट की कोई न कोई अगुवाई भी करता है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि हर गुट के लोग संचालक बने हुए हैं, जिससे कुछ भी तय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनके बीच अनबन होती है और फैसला लेने में परेशानी आती है, लेकिन इस मतभेद के बावजूद भी.....

दिल्ली चुनाव समाप्त होते ही शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ चल रहा धरना अब बिखरा-बिखरा सा हो गया है। इसके पीछे की वजह ये कि अब कोई धरने का नेतृत्व करने के लिए तैयार नहीं है। वहीं कोर्ट द्वारा धरने पर भेजे गए वार्ताकार भी धरने पर बिखरे हुए माहौल और महिलाओं द्वारा पूछे जा रहे तरह-तरह के सवालों से परेशान हैं।
वहीं शुक्रवार को धरने पर पहुँचे वार्ताकारों के सामने प्रदर्शनकारी महिलाएं ऐसे-ऐसे तर्क दिए कि, जिसे सुनकर देश की सर्वोच्च अदालत में बहस करने में माहिर दोनों वरिष्ठ वकील भी हैरान रह गए।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन शुक्रवार को शाहीन बाग धरने पर प्रदर्शनकारी महिलाओं से बात करने पहुँचे, जहाँ वार्ताकारों से महिलाओं ने ऐसे अजीब और अटपटे सवाल पूछे कि वार्ताकार भी परेशान होकर छल्ला उठे और बोले बात करनी है तो 20-20 महिलाओं के गुट बनाकर करो नहीं तो हमें मजबूरन यहाँ से वापस जाना होगा। वार्ताकारों द्वारा की गई इस पेशकश को शाहीन बाग की प्रदर्शनकारी महिलाओं ने पल भर में ठुकरा दिया और कहा कि बात करनी है तो यहीं होगी, जिस हाल में हम यहाँ बैठे हुए हैं।

इसी बीच वार्ताकार ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आपका यही व्‍यवहार रहा तो हम कल से यहाँ नहीं आएंगे। इससे पहले एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम पिछले दो महीने से प्रधानमंत्री मोदी का पलकें बिछाए इंतजार कर रहे हैं। वो शाहीन बाग आएँ और हमसे बात करें।

वार्ताकारों संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से यही अपील की कि शाहीन बाग के धरना स्थल को बदलने पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि इस धरने के कारण उन्हीं के जैसे देश के सामान्य नागरिकों को परेशानी हो रही है। इस पर महिलाओं ने तर्क दिया कि देश की आजादी के समय भी इसी तरह के धरने, प्रदर्शन हुए थे। उससे भी लोगों को परेशानी हुई थी। अगर उस परेशानी को न उठाया गया होता तो आज देश को आजादी ही नहीं मिली होती।

इस दौरान बार-बार नागरिकता कानून को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर वार्ताकार दोनों वरिष्ठ वकीलों ने प्रदर्शनकारियों को साफ़ कहा कि यह मसला केवल प्रदर्शन स्थल को लेकर हो रही परेशानी को लेकर है। नागरिकता संशोधन के मुद्दे भी सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन हैं और उस समय प्रदर्शनकारियों का पूरा पक्ष सर्वोच्च अदालत के समक्ष रखा जाएगा, लेकिन इसके बाद भी सामान्य महिलाओं द्वारा दिए जा रहे तर्कों को सुनकर वार्ताकार धैर्य रखने की बात कहते रहे और लगातार महिलाओं का विश्वास जीतने में लगे रहे।

वहीं जैसे-जैसे शाहीन बाग प्रदर्शन दिन रोज खींचता चला जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों में दूरियाँ भी बढ़ती जा रही है। शाहीन बाग में एक से अधिक गुट बनते नजर आ रहे हैं और उस गुट की कोई न कोई अगुवाई भी करता है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि हर गुट के लोग संचालक बने हुए हैं, जिससे कुछ भी तय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में उनके बीच अनबन होती है और फैसला लेने में परेशानी आती है, लेकिन इस मतभेद के बावजूद भी सभी कानून को वापस लेने की बात कहते हैं और यह भी कहते हैं कि हम यहाँ से नहीं उठेंगे। ऐसे में मंच और धरने को दादियों के हवाले कर दिया गया है।

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्‍ट्रीय नागरिकता रजिस्‍टर के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर से महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन के चलते दिल्‍ली से नोएडा को जोड़ने वाला मार्ग भी पिछले दो महीने से भी अधिक समय से बंद है, जिसके चलते लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। गौरतलब है कि रोड़ पर चल रहे धरने के विरोध में आम लोगों ने भी एक विरोध मार्च निकाला था। साथ ही कोर्ट ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से बात करने के लिए वार्ताकारों को नियक्त किया है, जिनकी वार्ता अभी जारी है।


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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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