'हिंदू हृदय सम्राट' बाल ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में सरकार बना चुके हैं। तीन पहियों वाली कभी भी पलटने वाली सरकार। अब CAA पर एक बार फिर से शिवसेना ने पलटी मारी है। वो भी कॉन्ग्रेस और UPA को आँख दिखाती हुई पलटी।
एक तरफ शिवसेना अपनी सत्ता में साझीदार कॉन्ग्रेस और एनसीपी को ख़ुश रखने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ़ वो भाजपा को देशहित और हिंदुत्व के मुद्दों पर अकेले क्रेडिट लेने भी नहीं देना चाहती। मौजूदा स्थिति में पार्टी पेंडुलम की तरह हो गई है- कभी इधर तो कभी उधर।
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गॉंधी के सावरकर को लेकर दिए गए बयान ने भी प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। इस मसले पर भाजपा और शिवसेना के सुर एक जैसे हैं। इससे दोनों के जल्द साथ आने की अटकलों को बल मिला है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि हिंदुत्व विचारक के प्रति श्रद्धा को लेकर कोई 'समझौता' नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सावरकर को पूरे देश का आदर्श बताया है। वहीं, भाजपा ने कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को 'राहुल जिन्ना' का नया नाम दिया है।
महाराष्ट्र में पूर्व सरकार इस राजमार्ग का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखना चाहती थी। लेकिन, शिवसेना की इच्छा पहले भी इसे बाल ठाकरे के नाम पर करने का था। और, एकनाथ शिंदे ने तब भी कहा था कि...
नागरिकता संशोधन विधेयक पर कॉन्ग्रेस के दबाव और कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से दुविधा में शिवसेना। उप मुख्यमंत्री और महकमों को लेकर जारी खींचतान से पिंड छुड़ाने के लिए क्या फिर भाजपा के पास लौटेंगे उद्धव ठाकरे?
शिवसेना का एक नेता राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के साथ होने की बात करता है। 10 मिनट के बाद कॉन्ग्रेस के 'वरिष्ठ नेता' राहुल गाँधी इस बिल के हर समर्थक को देश तोड़ने वाला बताते हैं। इसके 10 मिनट के बाद शिवसेना का सबसे बड़ा नेता मतलब उद्धव ठाकरे पलटी मारते हुए कहते हैं कि चीज़ें स्पष्ट नहीं, इसलिए...
इस बिल पर शिवसेना का रुख जानना इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के बाद से ही सबकी नजर उनके फैसले पर टिकी थी। एक साल पहले जब ये विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था, तब शिवसेना ने पूरी तरह से...
शिवसेना ने 'सामना' के जरिए पूछा कि क्या भारत में पहले से समस्याओं की कमी थी जो CAB के रूप में एक नई समस्या खड़ी कर दी गई है? शिवसेना ने दावा किया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलावा बिहार में भी इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहाँ भाजपा सत्ता में है।
इन प्रदर्शनों में सरकारी अधिकारियों और पुलिसबलों पर हमले किए गए थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कई आन्दोलनों में हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ चल रहे मामले वापस लिए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय ने इन सभी केसों की डिटेल्स मँगाई है।