बकौल राधेश सिंह, पाकिस्तान में उनके जवान बेटे को पकड़ कर उसे ख़ूब मारा। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस में शिकायत किए जाने के बाद उन्हें ख़ुफ़िया एजेंसियाँ भी कॉल करके धमकियाँ देने लगीं। उनपर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा।
बर्बरता की उस रात निहत्थे सिखों को दो समूहों में खड़ा किया गया। आतंकियों में से एक पास के ही गाँव का रहने वाला था। उसे एक सिख ने पहचान लिया। गोलीबारी से पहले उसने आतंकी से पूछा ‘चट्टिया तू इधर क्या कर रहा है’?
ख़ुद को स्टैंड-आप कॉमेडियन बताने वाले अतुल खत्री ने हिन्दुओं और सिखों के महत्वपूर्ण त्योहार लोहड़ी का सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ाया। कई लोगों को खत्री की बात अश्लील भी लगी और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। खत्री ने लिखा कि वो 'बहन की लोहड़ी (Behen Ki Lohri)' में जा रहे हैं।
"आज मुझे अपने भाई की लाश उठानी पड़ रही है। कल को मेरे और भी हिन्दू, सिख और ईसाई भाइयों को इस स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। पाकिस्तान दुनिया भर में ढिंढोरा पीटता है कि यहाँ अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। लेकिन हमारी हालत देखिए, हम रोते-बिलखते आपके सामने खड़े हैं।"
श्रीनगर-बारामूला रोड पर स्थित ये गुरुद्वारा पाकिस्तान से आए परिवारों की सेवा के लिए जाना जाता है। यहाँ लंगर के अलावा सामाजिक सेवा कार्य होते हैं। बाढ़ पीड़ितों और भूकंप पीड़ितों को शरण देना इसमें शामिल है।
“पाकिस्तान में हिंदू और सिख लड़कियों को बहकाकर लव जिहाद के जाल में फँसाने और फिर उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करने का चलन जोरों पर है। मैं पाक में श्री करतारपुर साहिब के दर्शकों को सावधान करना चाहता हूँ कि कृपया इस ट्रैप के बारे में जागरूक और सतर्क रहें।”
पाकिस्तान के एक नेता ने सिखों के खिलाफ विवादित बयान देते हुए करतारपुर कॉरिडोर पर भी विवादित टिप्पणी की है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के संस्थापक और नेता खादिम हुसैन रिज़वी ने एक भाषण में कहा कि जिसे सिखों से ज्यादा प्यार हो वह सरहद पार अमृतसर चले जाएँ।
"औरंगज़ेब हिंदुओं का ज़बरन धर्म परिवर्तन करता था। वो लाखों हिंदुओं का क़ातिल है। उसके नाम पर सड़क करोड़ों हिंदू और सिखों की भावना के साथ खिलवाड़ है। उसका नाम सड़कों और किताबों से हटाय जाए।"
"पाकिस्तान में सिख विरोधी प्रचार जारी है। यह कार्यक्रम सिखों को कार्टून के रूप में दिखाता है, जो सिखों की भावनाओं को बहुत आहत करता है। पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान इसे न दिखाने का आदेश दें और ऐसे एजेंडा-सेटरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें।"
गुजराल जब एयरपोर्ट के मेटल डिटेक्टर से गुजर कर निकले, तो कोई अलार्म नहीं बजा। यानी, उनके शरीर पर या पगड़ी में किसी सुरक्षा उपकरण ने कोई खतरनाक या संवेदनशील चीज़ नहीं थी। इसके बावजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पगड़ी उतारने के लिए कहा।